(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Police Memorial Day: अमित शाह की शहीद पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि, कहा- देश की इंटरनल सिक्योरिटी में आया बड़ा बदलाव
पुलिस मेमोरियल डे के अवसर पर अमित शाह ने कहा “राष्ट्र की आंतरिक सुरक्षा में पॉजेटिव बदलाव आया है". जो युवा पहले सुरक्षाकर्मियों पर पत्थर फेंकते थे, वे अब 'पंच' और 'सरपंच' हो गए हैं.
Police Memorial Day: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार (21 अक्टूबर) को दिल्ली में आयोजित पुलिस मेमोरियल डे के अवसर पर राष्ट्रीय पुलिस स्मारक में सभा को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले आठ वर्षों में पूर्वोत्तर राज्यों, जम्मू-कश्मीर और वामपंथी उग्रवाद क्षेत्रों में सुरक्षा की स्थिति में सुधार हुआ है. उन्होंने कहा पुलिसकर्मियों ने कोविड-19 महामारी के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
हिंसा में कमी आई है
गृह मंत्री ने कहा कि “राष्ट्र की आंतरिक सुरक्षा में पॉजिटिव बदलाव आया है". इससे पहले पूर्वोत्तर, कश्मीर और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित इलाकों में बड़ी घटनाएं हुई थी. पहले सशस्त्र बलों को विशेष शक्ति दी जाती थी, अब युवाओं को उनकी प्रगति के लिए विशेष अधिकार दिए जाते हैं और इससे इन क्षेत्रों में हिंसा में 70 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है.
उन्होंने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर के हालात ऐसे हैं कि जो युवा पहले सुरक्षाकर्मियों पर पत्थर फेंकते थे, वे अब 'पंच' और 'सरपंच' हो गए हैं. अमित शाह ने कहा, "वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों में एकलव्य स्कूलों में राष्ट्रगान गाया जा रहा है. इन इमारतों पर राष्ट्रीय ध्वज को फहराता है."
जवानों के बलिदान से भारत का विकास
संबोधन में शाह ने कहा “पहले पत्थर फेंकने में शामिल युवा अब सरकार के तरफ से शुरू की गई अलग- अलग डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स में शामिल हैं. पीएम मोदी के विजन के तहत देश की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कई उपाय किए गए हैं. शाह ने कहा कि "देश भर में पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों के बलिदान से भारत विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है". शाह ने 'पुलिस मेमोरियल डे' के अवसर पर राष्ट्रीय राजधानी में राष्ट्रीय पुलिस स्मारक पर ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले पुलिस कर्मियों को श्रद्धांजलि दी.
पुलिस मेमोरियल डे क्यों मनाया जाता है
लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स में 21 अक्टूबर, 1959 को भारी हथियारों से लैस चीनी सैनिकों के गश्त ड्यूटी के दौरान दस बहादुर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवान मारे गए थे. उसी के याद में हर साल 'पुलिस मेमोरियल डे' मनाया जाता है. राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले पुलिसकर्मियों को सम्मानित करने के लिए, दिल्ली में एक राष्ट्रीय पुलिस स्मारक स्थापित करने के विचार को लेकर गृह मंत्रालय ने 1992 में सपोर्ट किया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 अक्टूबर, 2018 को पुलिस मेमोरियल डे पर राष्ट्रीय पुलिस स्मारक राष्ट्र को समर्पित किया. स्मारक पुलिस बलों को राष्ट्रीय पहचान, गौरव, उद्देश्य की एकता, सामान्य इतिहास और भाग्य की भावना देता है. स्मारक में एक केंद्रीय मूर्तिकला, वीरता की दीवार और एक अंडरग्राउंड म्यूजियम शामिल है. जैसे ही कोई साइट में प्रवेश करता है, दो बड़े सिमिट्रिकल रूप से रखे हुए कटोरे के साथ फूलों से लदी प्राचीर, फूलों से सजी दिखती है. ये पुलिस शहीदों की चिरस्थायी भावना और उनके समर्पण का प्रतीक है.
पिछले पांच साल के आंकड़े
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में कुल 307 केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) और असम राइफल्स (AR) के जवानों ने राष्ट्र के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया. राय ने राज्यसभा में यह कहा, 2021 में 307 कर्मियों में से 27 ने अपने जीवन का बलिदान दिया. 2020 में 39, 2019 में 90, 2018 में 75, और 2018 में 76.
307 सैनिकों में से 180 केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), 49 सीमा सुरक्षा बल (BSF), 37 भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP), सात-सात सशस्त्र सीमा बल (SSB) और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा में तैनात थे. फोर्स (CISF), और 27 असम राइफल्स में.
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