नई दिल्ली: रेलवे के पिछले वित्त वर्ष में शून्य मौत के दावे पर नीति आयोग द्वारा सवाल उठाए जाने के बाद रेलवे ने गुरुवार को कहा कि बीती तीन वर्षों के दौरान उसके परिसरों में “अतिक्रमण और अन्य अप्रिय घटनाओं” में करीब 29-30 हजार लोगों की मौत हुई.
नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत द्वारा रेलवे के दावों को संज्ञान में लेने और आंकड़ों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने के बाद रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वीके यादव की तरफ से यह स्पष्टीकरण आया. कांत ने कहा था कि मुंबई उपनगरीय खंड पर ही प्रतिवर्ष हजारों मौत होती हैं.
नीति आयोग के सीईओ ने एक पत्र में यादव को कहा, “मैं आपका ध्यान इस तथ्य की तरफ आकृष्ट करना चाहूंगा कि इन मौतों में से बहुत सी ट्रेन से या प्लेटफॉर्म से पटरी पर गिरने से होती हैं. इसलिए उन्हें राष्ट्रीय रेल संरक्षण कोष के दायरे से बाहर नहीं रखा जाना चाहिए. आदर्श रूप से उन्हें आधिकारिक रूप से दर्ज करना चाहिए.”
यादव ने गुरुवार को कहा कि रेलवे सभी मौतों का हिसाब रखता है जो उसके परिसर में होती हैं. इन्हें तीन अलग शीर्षकों- परिणामी दुर्घटनाएं, अतिक्रमण और अप्रिय घटनाओं- में दर्ज किया जाता है. उन्होंने कहा, “यह सच है कि 20109-20 में परिणामी दुर्घटनाएं वास्तव में शून्य रहीं और इस साल भी.” उन्होंने कहा, “बीते तीन वर्षों में 29 से 30 हजार लोगों की मौत या तो अतिक्रमण या अप्रिय घटनाओं के कारण हुई.” उन्होंने कहा कि यह आंकड़ा हम नीति आयोग को देंगे.’’
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