(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
दिल्ली: जंतर-मंतर पर 'किसान संसद' के तीसरे दिन आज महिलाएं संभालेंगी कमान, 200 महिला किसान होंगी शामिल
संसद के नजदीक जंतर-मंतर पर आंदोलनरत किसानों द्वारा चलाई जा रही किसान संसद का आज तीसरा दिन है. आज किसान संसद की कमान महिलाएं संभालेंगी, जिसमें 200 महिला किसान शामिल होंगी.
संसद के नजदीक जंतर-मंतर पर आंदोलनरत किसानों द्वारा चलाई जा रही किसान संसद का आज तीसरा दिन है. आज किसान संसद की कमान महिलाएं संभालेंगी, जिसमें 200 महिला किसान शामिल होंगी. इससे पहले किसान संसद के दूसरे दिन शुक्रवार को आम सहमति से एक प्रस्ताव पारित कर एपीएमसी बायपास अधिनियम को रद्द करने की मांग की गई. एक बयान में कहा गया है कि प्रस्ताव में एपीएमसी बायपास अधिनियम या कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम के क्रियान्वयन को सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थगित किए जाने से पहले जून 2020 से जनवरी 2021 तक पड़े इसके प्रतिकूल प्रभाव पर गौर किया गया.
किसान संसद में शुक्रवार की कार्यवाही संसद के कामकाज की तरह ही हुई, जिसका मॉनसून सत्र चल रहा है. किसान संसद के दूसरे दिन संयुक्त किसान मोर्चा ने एक स्पीकर (हरदेव अर्शी), एक डिप्टी स्पीकर (जगतार सिंह बाजवा) और एक कृषि मंत्री भी नियुक्त किया था. कृषि मंत्री रवनीत सिंह बरार (37) ने किसान संसद में अपने इस्तीफे की पेशकश की क्योंकि वह किसानों के मुद्दे का हल करने में नाकाम रहे और उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके. संसद में जारी मॉनसून सत्र के साथ केंद्र के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शित करने के लिए 200 किसानों का एक समूह गुरुवार को मध्य दिल्ली के जंतर-मंतर पहुंचा. दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने जंतर मंतर पर अधिकतम 200 किसानों को नौ अगस्त तक प्रदर्शन की विशेष अनुमति दी है.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दी प्रतिक्रिया
‘किसान संसद’ पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की प्रतिक्रिया भी सामने आई है. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि संसद तो एक ही होती है जिसे जनता चुनकर भेजती है. उन्होंने एक बार फिर कहा कि किसानों को आंदोलन का रास्ता छोड़कर बातचीत का रास्ता अपनाना चाहिए. केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा, “संसद तो एक ही होती है, जिसे जनता चुनकर भेजती है. जो यूनियन के लोग ऐसी बातें कर रहे हैं और आंदोलन कर रहे हैं वह निरर्थक है. हमने कई बार उनसे कहा कि आंदोलन का रास्ता छोड़कर बातचीत का रास्ता अपनाना चाहिए.”
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