आज के दिन भारतीय सेना ने पाकिस्तान के 'ऑपरेशन जिब्राल्टर' का दिया था मुंहतोड़ जवाब, ऐसे चटाई थी दुश्मन देश को धूल
1965 में आज ही के दिन भारतीय सेना ने पाकिस्तान के ‘ऑपरेशन जिब्राल्टर’ को मुंहतोड़ जवाब दिया था. भारत सरकार के खिलाफ विद्रोह शुरू करने के लिए पाकिस्तान ने कश्मीर में इस नापाक मिशन की योजना बनाई थी.
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साल के नौवें महीने का छठा दिन देश के इतिहास में सेना के शौर्य की याद दिलाता है. 1965 में आज ही के दिन भारतीय सेना ने पाकिस्तान के ‘ऑपरेशन जिब्राल्टर’ को मुंहतोड़ जवाब दिया था. देश के जांबाज लड़ाकों ने पाकिस्तान की इस कायराना हरकत को ना सिर्फ विफल किया बल्कि उन्हें धूल चाटने पर भी मजबूर कर दिया.
दरअसल पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करने की रणनीति को ऑपरेशन जिब्राल्टर का कोड नेम दिया था. भारत सरकार के खिलाफ विद्रोह शुरू करने के लिए पाकिस्तान ने इस नापाक मिशन की योजना बनाई थी. पाकिस्तान को उम्मीद थी कि इस मिशन के सफल होने पर वो कश्मीर पर नियंत्रण हासिल कर लेगा. हालांकि भारतीय सेना के आगे पाकिस्तान के मंसूबे बौने साबित हुए और उसकी ये साजिश धरी की धरी ही रह गई. भारतीय सेना ने छह सितंबर 1965 को पाकिस्तान के इस ऑपरेशन जिब्राल्टर के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की. जो अंत में भीषण युद्ध में तब्दील हो गया. भारत के हाथों पाकिस्तान को इस युद्ध में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा.
पाकिस्तान ने इस मिशन का नाम 'ऑपरेशन जिब्राल्टर' क्यों रखा?
पाकिस्तान ने इस से पहले स्पेन पर हुए मुस्लिम आक्रमण से प्रभावित होकर अपने इस मिशन को 'ऑपरेशन जिब्राल्टर' कोडनेम दिया था. बता दें कि स्पेन में जिब्राल्टर सीपोर्ट से ही मुस्लिम आक्रमण शुरू हुआ था. इस ऑपरेशन के तहत साल 1965 के अगस्त महीने में पाकिस्तानी सेना के गुरिल्ला जवान और पैराट्रूपर्स कश्मीर के स्थानीय निवासियों का भेष बदलकर घाटी में दाखिल हो गए थे. इनका मकसद यहां के स्थानीय नागरिकों को भड़काकर उन्हें भारत के खिलाफ करना था.
पाकिस्तान इस खुशफहमी का शिकार था कि, स्थानीय कश्मीरी नागरिकों को वो भड़काने में सफल हो जाएगा. जिसके बाद यहां घुसपैठ करके आए उसके सैनिक भारतीय सेना के खिलाफ आसानी से अपने हमले को अंजाम दे सकेंगे. पाकिस्तान की सोच थी कि जब स्थानीय कश्मीरी नागरिक भी इस विद्रोह की अगुवाई में होंगे तब ऐसे में भारतीय सेना के लिए उनके खिलाफ काउंटर ऑपरेशन को अंजाम देना आसान नहीं होगा.
मुस्लिम शासकों के नाम पर थे पाकिस्तानी सेना की टुकड़ियों के नाम
भारतीय सेना पर इस हमले को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान ने बेहद मजबूत रणनीति बनाई थी. इसके तहत पाकिस्तान के सैनिक 10 अलग अलग टुकड़ियों में बंट गए थे. इन सबके कोड नेम मुस्लिम शासकों के नाम पर दिए गए थे. शुरुआत में पाकिस्तान के ये सैनिक भारतीय सेना से नजर बताते हुए कुछ जगहों पर कब्जा करने में सफल रहे. लेकिन इसके बाद जो हुआ वो भारत के इतिहास में सुनहरे शब्दों में दर्ज हो गया.
सेना ने इस 'ऑपरेशन जिब्राल्टर' की भनक लगते ही अपनी जवाबी कारवाई शुरू कर दी. भारतीय सैनिकों की अचूक स्किलस और जांबाज इरादों का पाकिस्तान के पास कोई जवाब नहीं था. भारतीय सेना के इस जवाबी हमले ने पाकिस्तान की सेना को तितर बितर कर दिया और वो जान बचाने के लिए इधर उधर भागने लगे. यहां तक कि जिन कश्मीरी नागरिकों को बरगलाने का उसने सपना देखा था वो भी पाकिस्तान के खिलाफ सामने उतर आए.
भारतीय सेना के आगे पाकिस्तान में टेकें घूटने
भारतीय सेना के इस जवाबी हमले और कश्मीरी नागरिकों की देशभक्ति ने पाकिस्तान सेना की कमर तोड़ दी. उसके लिए वहां से बाहर निकलना और बैकअप सपोर्ट पाना खासा मुश्किल हो गया था. जब पाकिस्तान को इस बात का एहसास हुआ कि उसके कई सैनिक भारतीय सेना के शिकार हो सकते हैं तो उसने ध्यान भटकाने के लिए पंजाब के एयरबेस पर हमले शुरू कर दिए.
हालांकि भारतीय सेना की कुशल रणनीति उनसे कहीं बेहतर निकली. भारतीय सेना ने इसके जवाब में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया. जिसके बाद पाकिस्तानी सैनिकों को कश्मीर में घूटने टेंक पंजाब की ओर उल्टे पांव भागना पड़ा. इसके बाद ही 1965 के भारत-पाक युद्ध की शुरुआत हुई थी.
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