नई दिल्ली: मोदी सरकार ने राज्यसभा में बहुमत ना होने के बावजूद मंगलवार को तीन तलाक बिल पास करवा लिया. इसके पीछ सरकार की कुशल रणनीति और बेहतरीन फ्लोर मैनेजमेंट बताया जा रहा है. इस बीच लगातार बिल का विरोध करने वाले विपक्षी दलों ने तीन तलाक बिल पर सरकार पर छल, कपट और धोखे का आरोप लगाया है. राज्यसभा में नेता प्रितपक्ष गुलाम नबी आजाद और टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए कहा कि यह सरकार लोकतंत्र की परवाह नहीं करती और ना ही संसद की परवाह करती है.


नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा, ''हमने 6 बिलों को लेकर सहमति बनाई थी जिनको सेलेक्ट कमेटी को भेजना चाहिए. इनमें से तीन तलाक बिल भी था लेकिन इस बिल को पेश करने की लेट जानकारी दी गई जिसकी वजह से हम अपने सदस्यों को उसकी जानकारी भी नहीं दे सके. यह सरकार अपनी मनमानी से हर संस्था को एक विभाग की तरह ही चलाना चाहती है.''


आजाद ने कहा, ''विपक्षी नेताओं ने कहा कि आरटीआई बिल के दौरान सरकार ने पूछा था विपक्ष से कि कौन-कौन से बिल सिलेक्ट कमेटी को भेजा चाहते हैं. जिसके बाद में हमने 6 बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजने पर सहमति बनी. तीन तलाक का बिल सबसे महत्वपूर्ण मिला था जिसको हम सिलेक्ट कमिटी को भेजना चाहते थे और आज जो बिल अनलॉफुल एक्टिविटी वाला बिल भी सिलेक्ट कमिटी को भेजने का फैसला लिया था. हमको यह पता था की 6 बिल सिलेक्ट कमिटी को भेजने पर सहमति बनेगी. लेकिन सरकार ने सोमवार देर रात तीन तलाक बिल को मंगलवार को चर्चा के लिए लिस्ट कर दिया गया. इसी के चलते किसी भी पार्टी को व्हिप जारी करने का मौका नहीं मिल पाया यह एक तरह की चीटिंग है.''


वहीं टीएमसी डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, ''सोमवार की देर रात हमको पता चला कि तीन तलाक बिल मंगलवार को राजसभा में आ रहा है. सरकार ने हमको इस बारे में पहले से जानकारी भी नहीं दी थी और यही बात यूएपीए बिल को लेकर भी रही. हम इन बिलों को देखना चाहते थे एग्जामिन करना चाहते थे.'' डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि सरकार अपने दो सहयोगियों के भरोसे संसद चला रही है, पहला सीबीआई और दूसरी प्रवर्तन निदेशालय. कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि सरकार ने हमारे विश्वास को तोड़ा है और आपसी रिश्ते को खराब किया है. यह सरकार की नैतिक हार है.


कैसे पास हुआ राज्यसभा में तीन तलाक बिल?
राज्यसभा में बहुमत ना होने के बावजूद मोदी सरकार ने तीन तलाक बिल पास करवा लिया. विधेयक में तीन तलाक का अपराध सिद्ध होने पर संबंधित पति को तीन साल तक की जेल का प्रावधान किया गया है. बिल के पक्ष में 99 वोट पड़े जबकि खिलाफ में 84 वोट पड़े, वोटिंग के वक्त 183 सांसद ही सदन में मौजूद थे. इससे पहले बिल को राज्यसभा की सेलेक्ट कमेटी को भेजना का प्रस्ताव 84 के मुकाबले 100 मतों से खारिज हो गया. राज्यसभा में दूसरा मौका है जब सरकार ने राज्यसभा में संख्या बल अपने पक्ष में नहीं होने के बावजूद महत्वपूर्ण विधेयक को पारित करवाया. इससे पहले कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद आरटीआई संशोधन विधेयक को उच्च सदन में पारित करवाने में सरकार सफल रही थी.