अमेरिका ने माना भारत-पाक वार्ता तभी मुमकिन जब पाक अपनी ज़मीन पर पल रहे अतंकियों पर करे कार्रवाई
अमेरिकी विदेश विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका तनाव घटाने और वार्ता के लिए सहायक स्थितियां बनाने के लिए प्रयासरत रहेगा. हालांकि इसका पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम है आतंकवाद के उपद्रव से निपटना.ज़ाहिर है कि फिलहाल अमेरिका अपनी भूमिका का दायरा आतंकवाद कोलेकर पाकिस्तान पर दबाव बनाने में देख रहा है.
नई दिल्ली: कश्मीर पर मध्यस्थता को लेकर दिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बयान के बाद हालात संभालने में जुटे अमेरिकी विदेश विभाग ने साफ किया कि यह तभी सम्भव है जब भारत और पाकिस्तान दोनों इसका आग्रह करें. साथ ही अमेरिका ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच हो सकती है जब पाक अपनी ज़मीन पर मौजूद आतंकियों और उग्रवादियों के खिलाफ सतत और अपरिवर्तनीय कार्रवाई करे.
एबीपी न्यूज़ के सवालों पर भेजे जवाब में अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया कि "यह अमेरिका का विश्वास है कि कोई भी सफल वार्ता तभी सम्भव है जब पाकिस्तान अपनी ज़मीन पर मौजूद आतंकियों और उग्रवादियों के खिलाफ सतत और अपरिवर्तनीय कार्रवाई करे. इस तरह की कार्रवाई पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के घोषित संकल्प और पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय जवाबदेही का हिस्सा है."
राष्ट्रपति ट्रम्प के बयान को स्पष्ट करते हुए प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका मदद के लिए तैयार है यदि भारत और पाकिस्तान दोनों इसके लिए आग्रह करते हैं तो.यद्यपि यह एक द्विपक्षीय मुद्दा है और दोनों देशों को ही इस पर चर्चा करना है. लेकिन अमेरिका दोनों पक्षों के साथ बैठने का स्वागत करता है.
हालांकि अमेरिकी विदेश विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका तनाव घटाने और वार्ता के लिए सहायक स्थितियां बनाने के लिए प्रयासरत रहेगा. हालांकि इसका पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम है आतंकवाद के उपद्रव से निपटना.ज़ाहिर है कि फिलहाल अमेरिका अपनी भूमिका का दायरा आतंकवाद कोलेकर पाकिस्तान पर दबाव बनाने में देख रहा है.
हालांकि विदेश विभाग प्रवक्ता इस बात पर सीधा जवाब टाल गए कि क्या अमेरिकी राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री के नरेंद्र मोदी से कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता का कोई प्रस्ताव मिल था? इस बारे में पूछे सवाल पर उन्होंने इतना ही कहा कि हम राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री मोदी के बीच हुई बातचीत की सटीक जानकारी साझा नहीं कर सकते. मगर दोनों के बीच पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद के खिलाफ सतत और अपरिवर्तनीय कार्रवाई की अहमियत पर बातचीत ज़रूर हुई ताकि क्षेत्र में शांति कायम हो सके.
महत्वपूर्ण है कि अमेरिकी सरकार अब राष्ट्रपति ट्रम्प के उस दावे को ढंकने की कोशिश कर रही है जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद मोदी का नाम लेते हुए कश्मीर पर मध्यस्थता प्रस्ताव मिलने की बात कही थी. हालांकि इस मुद्दे पर जहां भारत के विदेश मंत्रालय ने पुरजोर खंडन कर इस दावे को खारिज किया. वहीं ट्रम्प के इस बयान से अमेरिकी विदेश विभाग को भी किनारा करना पड़ा.