Ghulam Nabi Azad News: कांग्रेस पार्टी (Congress Party) में बड़ा चेहरा और राज्यसभा में विपक्ष नेता रहे गुलाब नबी आजाद ने शुक्रवार को कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा (Resignation) दे दिया है. उन्होंने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता (Primary Membership of Congress Party) भी छोड़ दी है. गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को पांच पन्नों का इस्तीफा भेजा है. यहां हम आपको बता रहे हैं कि गुलाम नबी आजाद को कांग्रेस ने कभी महाराष्ट्र से एमपी बनाया था. राज्यसभा से रिटायर होते वक्त उन्होंने पीएम मोदी की तारीफ में कसीदे पढ़े थे. आइए जानते हैं महाराष्ट्र के एमपी चुनाव से लेकर अब तक का सफर...
1973 से शुरू की थी राजनीति
गुलाम नबी आजाद ने 1973 में भलस्वा में ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के सचिव बने थे. उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत यहीं से की थी. इसके बाद कांग्रेस ने उन्हें युवा कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया. वर्ष 1980 गुलाम नबी आजाद के लिए काफी महत्व रखता है, क्योंकि कांग्रेस ने महाराष्ट्र में वाशिम निर्वाचन क्षेत्र से उन्हें एमपी का टिकट दिया. यहां गुलाम नबी आजाद ने 1 लाख 97 हजार 822 मत प्राप्त करके जीत दर्ज की. उन्होंने अपने इंडियन कांग्रेस सोशलिस्ट (Indian Congress SOCIALIST) के निकटतम प्रत्याशी राठौड़ गोकुलदास देखसिंग से लगभग दस हजार मत अधिक प्राप्त किये थे. गोकुलदास ने इस चुनाव में 1 लाख, 87 हजार 463 मत हासिल किये थे. गुलाम नबी आजाद ने 41.1 प्रतिशत तो राठौर गोकुलदास ने 39 प्रतिशत वोट प्राप्त किये थे. इस निर्वाचन क्षेत्र में कुल 4,81,264 मत पड़े थे.
ऐसे बुंलदी पर पहुंचे गुलाम नबी आजाद
वाशिम निर्वाचन क्षेत्र से 1980 में पहला संसदीय चुनाव फतह किया तो गुलाम नबी आजाद आसमान की बुंलदियां छू गए. यह जीत उनके लिए राजनैतिक कैरियर में एक अच्छा मुकाम लेकर आई. इसके बाद उन्हें 1982 में केंद्रीय मंत्री बनाते हुए कैबिनेट में शामिल किया गया. इसके बाद वर्ष 2005 में उन्होंने जम्मू-कश्मीर की कमान बतौर मुख्यमंत्री संभाली. जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष रहते हुए आजाद की बदौलत कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में 21 सीटें जीतीं. इसी कारण कांग्रेस राज्य की दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गई.
भावुक हो गए थे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
वर्ष 2021 के फरवरी महीने के दूसरे सप्ताह में जब गुलाम नबी आजाद राज्यसभा से विदाई ले रहे थे. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भावुक हो गए थे. सियासी गलियारों ने इसके कई मायने लगाए. आमतौर पर किसी सदस्य के सदन से रिटायर होने पर प्रधानमंत्री समेत पक्ष-विपक्ष के नेता उस सदस्य के कार्यकलापों की प्रशंसा ही करते हैं, लेकिन पीएम मोदी ने जिस तरह से आजाद की तारीफ की, उसे अभूतपूर्व ही कहा जायेगा. इससे पहले आजाद समेत ढाई दर्जन से ज्यादा नेताओं ने एक चिट्ठी लिखकर कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन की आवाज भी उठाई थी. वह तो यह तक कह चुके हैं कि सदन और पार्टी के भीतर मैं खुद को गुलाम ही समझता हूं. तभी कांग्रेस के भीतर-बाहर यह कयास लगने लगे थे कि गुलाम नबी अब कांग्रेस से आजाद होने के लिए फड़फड़ा रहे हैं.
आजाद ने भी की थी प्रधानमंत्री की तारीफ
राज्यसभाख से रिटायर्ड होने के बाद फरवरी 2021 के अंतिम सप्ताह में गुलाम नबी आजाद ने जम्मू में एक सभा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की थी. उन्होंने कहा कि मुझे बहुत से लीडरों की बहुत सी बातें अच्छी लगती हैं. मैं खुद गांव से हूं और मुझे इस बात का फख्र है कि हमारे प्रधानमंत्री भी कहते हैं कि वो गांव से थे, कुछ भी नहीं थे, बर्तन मांजते थे, चाय बेचते थे. उन्होंने कहा कि सियासी तौर पर हम उनके खिलाफ हैं, लेकिन कम से कम जो अपनी असलियत है उसको नहीं छिपाते. .
BJP को लेकर लगाई गईं हैं अटकलें
गुलाम नबी आजाद राज्यसभा रिटायर्ड होने से पहले कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन की अवाज उठाने, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तारीफ किये जाने के बाद सियासी अटकलें तेज हो गई थीं. अधिकांश लोगों का मानना था कि आजाद का झुकाव अब बीजेपी की तरफ हो गया है. वह कांग्रेस से कभी छुटकारा ले सकते हैं. लंबे अर्से के बाद अब उन्होंने कांग्रेस पार्टी से दूरी बना ली है तो सियासी बिसात एक बार फिर से बिछने लगी हैं. 2024 लोकसभा चुनाव से पहले चुनावी सरगर्मी में आजाद के इस्तीफा पर नेता और विभिन्न पार्टियां अपने अपने कयास लगा रही हैं. इतना ही नहीं, भाजपा को लेकर भी तमाम अटकलें शुरू हो गई हैं.
अब तक यह रहा है राजनैतिक सफर
- 1980 में गुलाम नबी आजाद जम्मू कश्मीर राज्य की यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बने.
- 1980 महाराष्ट्र की वाशिम लोकसभा सीट जीते.
- 1982 में गुलाम नबी आजाद लॉ मिनिस्ट्री में डिप्टी मिनिस्टर बने.
- 1984 में वो आठवीं लोकसभा के लिए में भी चुने गए.
- 1985-89 सूचना और प्रसारण मंत्रालय में केंद्रीय उपमंत्री बने.
- 1990 से 1996 तक आजाद राज्यसभा के सदस्य रहे.
- अप्रैल 2006 राज्य के इतिहास में सबसे अधिक मतों के साथ जम्मू और कश्मीर विधानसभा के लिए चुने गए.
- 2008 भद्रवाह से जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए दोबारा से चुने गए. दया कृष्ण को 29936 वोटों के अंतर से हराया.
- 2008 में गुलाम नबी आजाद जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री बने
- 2009 चौथे कार्यकाल के लिए राज्यसभा के लिए चुने गए. इसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री बनाए गए
- 2014 राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे.
- 2015 पांचवीं बार राज्यसभा के लिए फिर से चुने गए.
- राज्य सभा में जून 2014-15 फरवरी और साल अगस्त 2021 विपक्ष के नेता रहे.
- यूपीए-2 शासनकाल में इन्हे स्वास्थ्य मंत्रालय का प्रभार दिया गया
- नरसिम्हा राव की सरकार में गुलाम नबी आजाद संसदीय कार्य मंत्री और नागरिक उड्डयन मंत्री रहे थे.
- कांग्रेस के रिबेल ग्रुप G-23 के सदस्य हैं.
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