पीएम मोदी लगातार देश में लोकसभा और राज्यसभा चुनाव एक साथ करवाने की वकालत कर रहे हैं. दो दिन पहले ही कुछ टेलिविज़न चैनलों को दिए इंटरव्यू में भी उन्होंने अपनी बात दोहराई थी. अब कार्मिक और न्याय मंत्रालय से जुड़ी संसदीय स्थायी समिति ने भी इस मुद्दे पर चर्चा शुरू की है.
बीजेपी नेता और राज्य सभा सांसद भूपेन्द्र यादव की अध्यक्षता वाली इस समिति की कल हुई बैठक में इस विषय पर चर्चा हुई. बैठक में कानून मंत्रालय के तहत विधायी विभाग और चुनाव आयोग के प्रतिनिधि शामिल हुए.
संविधान में संशोधन की ज़रूरत
बैठक में मौजूद विधायी विभाग के सचिव ने समिति को बताया कि देश में समानांतर चुनाव के लिए संविधान में संशोधन करना होगा जिसे नियम के अनुसार कम से कम आधे राज्यों से भी पारित करवाना होगा. एक और तरीका ये हो सकता है कि केंद्र और राज्य सरकारें स्वेच्छा से इस प्रस्ताव पर राज़ी हो जाएं.
मुख्य चुनाव आयुक्त पर आपत्ति
बैठक के दौरान लेफ्ट समेत विपक्षी दलों के कई सदस्यों ने नवनियुक्त मुख्य चुनाव आयुक्त ओ पी रावत के उस बयान पर आपत्ति जताई जिसमे उन्होंने एक साथ चुनाव करवाने के प्रस्ताव का समर्थन किया था. सदस्यों का कहना था कि ये मामला विधायिका यानि लोकसभा और विधानसभा के अधिकार क्षेत्र का है ना कि आयोग का. जबतक इसपर कोई अंतिम फैसला नहीं हो जाता तबतक कुछ कहना ठीक नहीं.
लेफ्ट प्रस्ताव पर सहमत नहीं
बैठक में मौजूद लेफ्ट और कुछ दूसरे विपक्षी दलों के नेताओं ने एक साथ चुनाव करवाने के प्रस्ताव का विरोध किया. इन सदस्यों का कहना था कि भारत की राजनीतिक परिस्थितियों के लिए ये ठीक नहीं हो सकता क्योंकि सभी राज्यों के हालात अलग अलग हैं. एक सदस्य ने कहा " इसकी गारंटी कौन देगा कि पाँच साल के लिए चुनी गई सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी ही और बीच में नहीं गिरेगी."
आयोग ने सदस्यों से लिखित विचार मांगा
कुछ सदस्यों ने इस मामले से जुड़े कुछ बिंदुओं पर बैठक में मौजूद चुनाव आयोग के प्रतिनिधियों से अपना पक्ष रखने को कहा. आयोग ने सभी सदस्यों से अपने सवाल लिखित रूप में देने का आग्रह किया ताकि जवाब देने में सुविधा हो.
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद भूपेंद्र यादव समिति के अध्यक्ष हैं. सूत्रों के मुताबिक समिति जल्द ही इस मुद्दे और बैठकें करने वाली है. इन बैठकों में राज्य सरकारों, सांसदों, विधायकों और अलग-अलग संस्थाओं को भी बुलाकर उनकी राय ली जाएगी.