नई दिल्ली: पंजाब और महाराष्ट्र कोऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक घोटाला मामले में एक और खाताधारक की मौत की खबर सामने आई है. मुंबई के मुलुंड इलाके में रहने वाले 80 साल के मुरलीधर धारा की हार्ट अटैक से मौत हो गई है. पीएमसी मामले में यह अब तक की तीसरी मौत है. इससे पहले 51 साल के संजय गुलाटी और फत्तोमल पंजाबी की हार्ट अटैक से हो चुकी है. बता दें कि आरबीआई ने पीएमसी बैंक पर अनियमितता का आरोप लगाते हुए इसके कामकाज पर रोक लगा दी थी और खाताधारकों के पासे निकालने की सीमा भी तय कर दी थी.


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बायपास सर्जरी के लिए पैसे नहीं निकाल पाया परिवार
मृतक मुरलीधर धारा के बेटे प्रेम धारा ने बताया कि उनके पिता की तबीयत लंबे समय से खराब चल रही थी. बायपास सर्जरी के लिए पैसों की जरूरत थी लेकिन सही समय पर पैसे न जुटा पाने के कारण प्रेम अपने पिता का इलाजे नहीं करा पाए. जानकारी के मुताबिक मुरलीधर को घर पर ही दिल का दौरा पड़ा और उनकी मौत हो गयी.


मृतक मुरलीधर धारा का भी पीएमसी बैंक में खाता था लेकिन उनके खाते में कितना पैसा था इसकी पुष्टि नहीं हो सकी. वहीं उनके बेटे का खाता भी इसी बैंक में है, उन्होंने बताया कि मेरे 80 लाख रुपये फंसे हुए हैं


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सुप्रीम कोर्ट से खाताधारकों को नहीं मिली राहत
पंजाब एवं महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड (पीएमसी) के ग्राहकों को आज सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली. सुप्रीम कोर्ट ने पीएमसी बैंक से नगदी निकालने पर आरबीआई की ओर से लगाई गई रोक हटाने की मांग कर रहे पीएमसी खाताधारकों की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, ''हम अनुच्छेद 32 (रिट अधिकार क्षेत्र) के तहत इस याचिका की सुनवाई नहीं करना चाहते. याचिकाकर्ता उचित राहत के लिए संबंधित हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं.'' वहीं सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार स्थिति की गंभीरता से वाकिफ है और ईडी दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई कर रही है.


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आरबीआई ने तीसरी बार बढ़ाई पैसा निकालने की लिमिट
आपको बता दें कि रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को संकट में फंसे पीएमसी बैंक के ग्राहकों के लिये निकासी सीमा 25,000 रुपये से बढ़ाकर 40,000 रुपये प्रति खाताधारक कर दी है. यह तीसरा मौका है जब आरबीआई ने ग्राहकों को राहत देते हुये निकासी सीमा बढ़ायी है. शुरुआत में आरबीआई ने छह महीने की अवधि में प्रति खाता निकासी सीमा 1,000 रुपये तय की थी जिसे बाद में बढ़ाकर 10,000 रुपये और फिर 25,000 रुपये किया गया था. रुपये निकाले जाने की सीमा तय किए जाने के बाद से ही खाता धारक प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्हें यह भी डर है कि कहीं बैंक में जमा पैसा डूब नहीं जाए.


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