Congress Leadership: मुश्किलों में घिरी कांग्रेस के सामने नई मुसीबत, हरियाणा में ना हो जाए पंजाब जैसी स्थिति
Congress Leadership Failed In Many State: कांग्रेस नहीं संभली तो एक उसकी पंजाब की तरह दुर्गति हो सकती है. कांग्रेस का कमजोर नेतृत्व एक बार फिर उसे मुसीबत में डाल सकता है.
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Conflict In Congress: कांग्रेस की मुश्किलें ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहीं. पहले ही राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पार्टी के भीतर नेतृत्व परिवर्तन की मांग को लेकर घमासान चल रहा था कि अब हरियाणा में भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी उदय भान को राज्य इकाई के अध्यक्ष बनाने के फैसले ने हरियाणा कांग्रेस में भूचाल ला दिया है. एक दिन पहले ही कई दिनों की माथापच्ची के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी उदय भान को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष घोषित किया था. इस फैसले के कुछ ही घंटों बाद पार्टी के कद्दावर नेता कुलदीप सिंह विश्नोई ने पार्टी के फैसले के खिलाफ़ ठीक वैसे ही मोर्चा खोल दिया है जैसे तकरीबन पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू ने किया था.
कुलदीप विश्नोई ने राहुल गांधी से मांगा जवाब
कुलदीप विश्नोई ने ट्विटर पर लिखा कि आपलोगों की तरह मैं भी गुस्से में हूँ लेकिन जब तक मैं राहुल गांधी से जवाब नहीं मांग लेता तब तक हमें कोई कदम नहीं उठाना चाहिए.
साथियों, आप सबके संदेश सोशल मीडिया पर पढ़ रहा हूँ। आपका अपार प्यार देख कर मैं अत्यंत भावुक हूँ। आपकी तरह ग़ुस्सा मुझे भी बहुत है।लेकिन मेरी सब से प्रार्थना है कि जब तक मैं राहुल जी से जवाब ना माँग लूँ, हमें कोई कदम नहीं उठाना है।अगर मेरे प्रति आपके मन में स्नेह है तो संयम रखें।🙏
— Kuldeep Bishnoi (@bishnoikuldeep) April 27, 2022
असल में इस बार हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी तीनों ने कुलदीप विश्नोई से मुलाक़ात की थी मगर हुड्डा के दबाव में पार्टी आलाकमान को उदय भान को हीं राज्य की कमान सौंपनी पड़ी. अब इसी से कुलदीप विश्नोई और उनके समर्थक बिफर गए हैं और बागी तेवर अपना लिया है. कुमारी सैलजा भी पहले से ही अध्यक्ष पद से हटाए जाने से नाराज़ बताई जा रही हैं और रणदीप सुरजेवाला और हुड्डा के बीच प्रतिद्वंद्विता किसी से छिपी नहीं है.
गहलोत बनाम पायलट लड़ाई चरम पर
कांग्रेस की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं होतीं, राजस्थान में भी अगले साल चुनाव होने हैं और वहां भी कांग्रेस के भीतर गहलोत बनाम पायलट लड़ाई चरम पर पहुंच गई है. हाल ही में सचिन पायलट की सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बात करते हुए सचिन पायलट ने कहा था कि राजस्थान एक ऐसा राज्य है जहां हर पांच साल में सरकार बदलती है और अगर कांग्रेस नेतृत्व सही दिशा में कदम उठाता है तो कांग्रेस राज्य में अपनी सरकार दोहरा भी सकती है. इशारा साफ था कि सचिन के सब्र का बांध अब टूट रहा है और वो गहलोत को हटा खुद को मुख्यमंत्री पद दिए जाने की इच्छा रखते हैं.
लेकिन गहलोत कहां चुप रहने वाले थे. गहलोत ने साफ कह दिया कि मुख्यमंत्री बदले जाने की बातें महज़ अफ़वाह हैं. असल में सचिन पायलट के करीबी सूत्र ये दावा करते रहें हैं कि पायलट को राजस्थान की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के आखिरी काल में मुख्यमंत्री बनाने का वादा किया गया था. हालांकि इस दावे को कांग्रेस के प्रभारी महासचिव पहले हीं खारिज कर चुके है, मगर प्रियंका गांधी से सचिन पायलट की करीबी की वजह से इस पर कयास अभी भी जारी हैं. लेकिन राजस्थान की ये गहलोत बनाम पायलट की लड़ाई भी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को गहरी चोट पहुंचा सकती है.
छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल और टीएस सिंह देव के बीच टकराव
बात अगर छत्तीसगढ़ की करीबी जाए तो वहां भी कांग्रेस संगठन कोई बहुत अच्छी स्थिति में है ऐसा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और टी एस सिंह देव के बीच टकराव को देखकर नहीं कहा जा सकता. भले ही भूपेश बघेल सरकार बेहतर तरीके से चला रहे हैं मगर टी एस सिंह देव अभी भी रोटेशन के कथित वायदे के मुताबिक मुख्यमंत्री पद उनको दिए जाने के प्रयास में हैं. असल में टी एस सिंह देव भी राज्य के कद्दावर नेता हैं और उनका भी दावा है कि राज्य में सरकार बनते वक्त खुद राहुल गांधी और प्रभारी की मौजूदगी में तय हुआ था कि ढाई साल बघेल और ढाई साल टी एस सिंह देव मुख्यमंत्री रहेंगे लेकिन बघेल पहले हीं साफ कर चुके हैं कि स्पष्ट बहुमत की सरकार में कोई रोटेशन नहीं होता, मेरी सरकार बहुमत से चल रही है. साफ है छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस अंदर हीं अंदर उबल रही है.
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