One Nation-One Election: मोदी कैबिनेट ने वन नेशन-वन इलेक्शन पर गठित पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी की सिफारिशों पर मुहर लगा दी है.  पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने साल 2029 में पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी.


इस कमेटी ने पहले कदम के रूप में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने और उसके बाद 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराने की सिफारिश की थी. केंद्र सरकार इसे संसद के शीतकालीन सत्र में संसद में पारित कराने की कोशिश करेगी. सरकार को उम्मीद है कि इस बिल पर उसे अपने सहयोगियों से पूरा समर्थन मिलेगा. 


इन राज्यों पर पड़ेगा असर 


अगर 2029 में एक साथ देशभर में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव होते हैं तो कई राज्यों की विधानसभा को कार्यकाल पूरा होने से पहले ही भंग करना पड़ेगा. देश में 2023 में 10 राज्यों में नई विधानसभा का गठन हुआ है, जिनका कार्यकाल 2028 तक है. ऐसे में इन राज्यों में 2028 में यहां पर फिर से चुनाव से होंगे, लेकिन 2029 में ये सभी विधानसभाएं भंग हो जाएंगी. इसका मलतब है कि इन 10 राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल केवल एक साल का रहेगा. ये राज्य हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, कर्नाटक, तेलंगाना, मेघालय, नगालैंड, त्रिपुरा और मिजोरम हैं. 


इसके अलावा कुछ ऐसे भी राज्य हैं, जहां पर 2027 में विधानसभा चुनाव होना है. ऐसे में वहां पर सरकार का कार्यकाल दो साल का ही रहेगा. ये राज्य उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और गुजरात हैं. वहीं,  पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम और केरल में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में इन राज्यों की सरकारों का कार्यकाल तीन साल या उससे भी कम समय तक सकता है. बिहार में अगले साल और दिल्ली में अगले साल फरवरी में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में इन राज्यों की सरकारों का कार्यकाल 4 साल तक होगा. 


इन राज्यों पर नहीं होगा कोई खास असर 


वहीं, देश के करीब आधा दर्जन राज्य ऐसे भी हैं, जहां पर वन नेशन-वन इलेक्शन की नीति का कुछ असर नहीं पड़ेगा. इसमें वो राज्य हैं, जहां पर 2024 में चुनाव हुए हैं या होने वाले हैं.ओडिशा, आंध्र प्रदेश, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश में इस बार लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हुए हैं. इसमें ओडिशा, आंध्र प्रदेश, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश हैं. वहीं, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. जबकि महाराष्ट्र और झारखंड में इस साल नवंबर तक विधानसभा चुनाव हो जाएंगे. ऐसे में इन राज्यों में सरकारों के कार्यकाल पर अधिकतम छह महीने का असर पड़ेगा.