One Nation One Election: जेपीसी ही नहीं संसद में भी अटक जाएगा 'वन नेशन-वन इलेक्शन' बिल, वजह है नंबर गेम!
One Nation One Election: ये बिल साधारण बहुमत से पास नहीं करवाया जा सकता, बल्कि इसके लिए जरूरत होती है दो तिहाई बहुमत की और दो तिहाई बहुमत तो बीजेपी के पास न तो लोकसभा में है और न ही राज्यसभा में.
One Nation One Election: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के सबसे महत्वाकांक्षी बिल वन नेशन-वन इलेक्शन को लोकसभा में स्वीकार कर लिया गया है. ये पहली चुनौती थी, जिसे इस बिल ने पार कर लिया है, लेकिन इस बिल का कानून बनना अब भी बेहद मुश्किल है और इसकी वजह है बीजेपी का नंबर गेम, जो न तो लोकसभा में है और न ही राज्यसभा में. हालांकि, लोकसभा और राज्यसभा में बीजेपी का बहुमत होता भी तब भी इस बिल का अटकना तय ही था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस महत्वाकांक्षी बिल को वन नेशन-वन इलेक्शन बिल कहिए या एक देश-एक चुनाव बिल, ये बिल कोई सामान्य बिल नहीं है कि लोकसभा और राज्यसभा से साधारण बहुमत से पास करवा लिया जाए और फिर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद इसे कानून बना दिया जाए. ये बिल एक संविधान संशोधन बिल है, जिसका पूरा नाम है संविधान (129वां) संशोधन बिल 2024, जिसे आमफहम भाषा में कहा जा रहा है एक देश-एक चुनाव विधेयक या वन नेशन-वन इलेक्शन बिल.
बीजेपी के पास नहीं है बहुमत
अब चूंकि ये बिल संविधान संशोधन बिल है तो इसे लोकसभा और राज्यसभा में साधारण बहुमत से पास नहीं करवाया जा सकता, बल्कि इसके लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत होती है और दो तिहाई बहुमत तो बीजेपी के पास न तो लोकसभा में है और न ही राज्यसभा में. इसे थोड़ा और विस्तार से समझने हैं.
543 में से 362 सांसदों का समर्थन चाहिए
लोकसभा में सांसदों की कुल संख्या है 543. दो तिहाई बहुमत के लिए 362 सांसदों का समर्थन चाहिए होता है. बीजेपी के अपने कुल 240 सांसद है. एनडीए के सभी घटक दलों के सांसदों को जोड़ने के बाद भी बीजेपी के पास नंबर 292 होता है. यानी कि बीजेपी के पास लोकसभा में इस बिल को पास करवाने के लिए अब भी कम से कम 70 सांसदों का समर्थन चाहिए और वो समर्थन फिलहाल बीजेपी को मिलता नहीं दिख रहा है.
जेपीसी के पास भेजा गया बिल
राज्यसभा में भी कमोबेश ऐसी ही कहानी है. राज्यसभा के सदस्यों की कुल संख्या 243 है. दो तिहाई बहुमत के लिए 162 सांसदों का समर्थन चाहिए, जबकि बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के पास राज्यसभा में सांसदों की कुल संख्या 112 है. 6 मनोनित सांसद हैं तो उनको लेकर संख्या होती 118 है फिर भी राज्यसभा में बीजेपी के पास 44 सांसद कम हैं. ऐसे में इस बिल का अटकना तो तय ही है. फिलहाल बिल जेपीसी के पास भेजा गया है तो हो सकता है कि जेपीसी में चर्चा के दौरान बीजेपी कुछ विरोधी दलों को अपनी ओर मिला ले और इस बिल पर कुछ और भी सांसदों को पक्ष में वोट देने के लिए राजी कर ले, लेकिन तब भी बीजेपी दो तिहाई बहुमत के नंबर गेम से बहुत दूर नजर आ रही है.
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