'वन नेशन, वन इलेक्शन' की दिशा में केंद्र का बड़ा कदम, सोमवार को लोकसभा में पेश होगा बिल
Lok Sabha: केंद्र सरकार ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' के लिए संविधान संशोधन बिल पेश करने का फैसला लिया है. केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल सोमवार (16 दिसंबर) को ये बिल लोकसभा में पेश करेंगे.
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One Nation One Election: केंद्र सरकार ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' के लिए एक अहम कदम उठाया है. केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल सोमवार (16 दिसंबर) को लोकसभा में दी यूनियन टेरेटरीज (संशोधन) बिल 2024 और संविधान संशोधन बिल (100 और 29) पेश करेंगे. सरकार का उद्देश्य देश में एक साथ लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव कराने के लिए संविधान में संशोधन करना है. यह बिल 'एक देश, एक चुनाव' की दिशा में एक बड़ा कदम है जिसे लागू करने के लिए पहले संविधान संशोधन की जरूरत है.
गुरुवार (10 दिसंबर) को मोदी सरकार ने केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' से संबंधित बिलों को मंजूरी दी थी. इससे पहले सितंबर में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी उच्चस्तरीय कमेटी ने एक देश-एक चुनाव के लिए अपनी सिफारिशें सरकार को सौंप दी थीं. प्रस्तावित कानून के तहत पहले चरण में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएंगे. वहीं दूसरे चरण में नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव कराए जाएंगे जिसे 100 दिनों के भीतर लागू करने की योजना है.
संविधान और केंद्र शासित प्रदेशों से जुड़े कानूनों में संशोधन जरूरी
2029 तक 'एक देश-एक चुनाव' को लागू करने के लिए सरकार को संविधान और केंद्र शासित प्रदेशों के विधानसभा से संबंधित कानूनों में संशोधन करना होगा. इसके तहत लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए संविधान संशोधन किया जाएगा. इस बिल के ड्राफ्ट को सांसदों को सर्कुलेट कर दिया गया है.
रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने मार्च 2024 में अपनी सिफारिशें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी थीं. कमेटी ने प्रस्तावित किया है कि पहले चरण के चुनावों के लिए राज्यों के समर्थन की आवश्यकता नहीं होगी. लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए राज्यों की सहमति की जरूरत नहीं है. संविधान संशोधन के लिए अनुच्छेद 83 (संसद के सदनों की अवधि) और अनुच्छेद 172 (राज्य विधानमंडलों की अवधि) में बदलाव किया जाएगा.
दूसरे चरण में राज्यों की सहमति जरूरी
हालांकि दूसरे चरण में नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव के लिए राज्यों की सहमति अनिवार्य होगी. यदि कोई विधानसभा अपने कार्यकाल से पहले भंग हो जाती है तो उसका चुनाव मध्यावधि चुनाव माना जाएगा. वहीं पांच साल की अवधि के बाद होने वाले चुनावों को सामान्य चुनाव माना जाएगा. इस पहल को लेकर सरकार का उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को सरल और सुसंगत बनाना है, ताकि देशभर में चुनावों का आयोजन एक ही समय पर हो सके. हालांकि विपक्ष इस कदम का विरोध कर रहा है और इसे लेकर कई सवाल उठाए हैं.
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