One Nation One Election: लोकसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच देश में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर भी चर्चा छिड़ गई है. इस पर वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा है कि वन नेशन वन इलेक्शन को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन की जरूरत होगी. न्यूज एजेंसी एएनआई से खास बातचीत में उन्होंने कहा हैं, "इसकी रिपोर्ट को देखने के बाद मैं कह सकता हूं कि अगर उन्हें (केंद्र सरकार) इसे लागू करना है, तो वे चुनावी प्रक्रिया में बदलाव लाने के लिए एक अनुच्छेद शामिल करना चाहते हैं. इसके लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता होगी."
इसके जटिलताओं के बारे में समझाते हुए वह कहते हैं, "दो-तिहाई बहुमत के साथ, देश भर के करीब आधे राज्यों ने भी अपनी सहमति दी है. इसलिए, यह एक काफी लंबी प्रक्रिया है. मुझे लगता है कि उन्होंने (केंद्र सरकार) इसे केवल एक सरल तरीके से देखा है. उन्हें अन्य पहलुओं पर भी गौर करना चाहिए."
संविधान के इन प्रावधानों में बदलाव की जरूरत'
गोपाल शंकरनारायणन का कहना है कि वन नेशन वन इलेक्शन को लागू करने के लिए संविधान के वे प्रावधान, जिनमें आपातकालीन शक्तियां, राष्ट्रपति की शक्तियां, राष्ट्रपति शासन आदि शामिल हैं, उनमें बदलाव की आवश्यकता होगी. इसे सरल समझना अदूरदर्शी सोच है.
'यह गैर जरूरी है'
उन्होंने एक तरह से केंद्र सरकार की इस योजना को गैर जरूरी करार देते हुए कहा कि हमने देखा है कि सरकारें कैसे बनाई जाती हैं, पिछले 75 वर्षों में संसद और विधानमंडल बनाए गए हैं. हमने कोई विशेष समस्या नहीं देखी है जिसे ठीक करने की आवश्यकता है... मेरे विचार में, यह पूरी तरह से अव्यावहारिक और पूरी तरह से गैर जरूरी है."
बता दें की देश भर में लोकसभा राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ कराने की व्यवहार्यता पर कोविंद पैनल ने आज (गुरुवार) अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंप दी है। कोविंद पैनल ने सिफारिश की है कि पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं उसके बाद दूसरे चरण में 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराए जा सकते हैं.
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