'एक देश, एक चुनाव' पर बोले लॉ कमीशन के चेयरमैन, कहा- इसके लिए तो संविधान में करने होंगे अहम बदलाव
One Nation, One Election: 26 जनवरी 1952 को जब पहली बार संविधान लागू हुआ तो उसके कुछ सालों बाद तक पूरे देश में चुनाव एक साथ हुए थे लेकिन बाद के सालों में ऐसा करना मुमकिन नहीं हो सका.
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One Nation, One Election: एक देश, एक चुनाव को लेकर पूरे देश के राजनीतिक गलियारों से लेकर आम जनता की बैठकों में तगड़ी बहस जारी है. इन बहसों के बीच लॉ कमीशन के चेयरपर्सन रितु राज अवस्थी ने इसको लेकर बड़ी टिप्पणी की. उन्होंने कहा, एक देश में एक चुनाव कराने से पहले सरकार को संविधान में कुछ अहम बदलाव करने होंगे.
रितु राज अवस्थी कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हैं और 22वें विधि आयोग के अध्यक्ष भी हैं. सरकार ने विधि आयोग को यह जिम्मेदारी सौंपी है कि वह एक ऐसी प्रक्रिया के बारे में सरकार को बताए जिससे देश में होने वाले चुनाव को एक लाइन में लाया जा सके. शुक्रवार (29 सितंबर 2023) को मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रितुराज अवस्थी ने एक देश एक चुनाव की समय सीमा बताने से इंकार कर दिया.
पूर्व राष्ट्रपति की अध्यक्षता में सरकार ने बनाई कमेटी
केंद्र की मोदी सरकार ने एक देश, एक चुनाव की संभावनाओं को लेकर देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया है. यह कमेटी देश में एक चुनाव की संभावनाओं और उसके क्रियान्वयन को लेकर काम कर रही है. इस कमेटी के गठन के बाद से ही पूरे देश में इसके राजनीति, संविधान और पूरे देश के संघीय ढांचे पर होने वाले बदलाव और प्रभाव को लेकर बहस शुरू हो गई है.
'कब होंगे एक साथ चुनाव अभी कहना मुमकिन नहीं'
एचटी मीडिया से बात करते हुए लॉ कमीशन के अध्यक्ष रितु राज ने कहा, पूरे देश भर में एक साथ चुनाव कब होंगे इसके बारे में अभी कहना मुमकिन नहीं है. इसकी एक टाइमलाइन नहीं बताई जा सकती है न ही इस टाइमलाइन को तय करना मुमुकिन है. हम इसकी कानूनी संभावनाओं को तलाशने के लिए काम कर रहे हैं, क्योंकि ऐसा करना नामुमकिन भी नहीं है.
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