One Nation One Election: वन नेशन-वन इलेक्शन यानी एक देश-एक चुनाव के प्रस्ताव पर मोदी कैबिनेट ने बुधवार (18 सितंबर) को मुहर लगा दी. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी देते हुए बताया कि संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में वन नेशन-वन इलेक्शन बिल पेश किया जाएगा. एक देश-एक चुनाव के प्रस्ताव की मंजूरी पर विपक्षी दलों ने विरोध जताया.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि ये प्रैक्टिकल नहीं है और मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इसे लाया गया है. केंद्रीय कैबिनेट की ओर से वन नेशन-वन इलेक्शन को मंजूरी दिए जाने के बावजूद इसको लागू करने की राह आसान नहीं है. इसे लागू करने के लिए मोदी सरकार को संविधान में संशोधन से लेकर राज्य सरकारों के अनुमोदन की जरूरत भी होगी. आइए जानते हैं कि एक देश-एक चुनाव को लागू करने में कहां हो सकती हैं दिक्कतें?
वन नेशन-वन इलेक्शन पर कहां होगी मोदी सरकार को टेंशन?
केंद्र की मोदी सरकार को वन नेशन- वन इलेक्शन को लागू करने के लिए जनप्रतिनिधित्व कानून 1955 में बदलाव करना होगा. इसके साथ ही लोकसभा के रूल्स ऑफ प्रोसिजर में भी संशोधन करना जरूरी होगा. इसी तरह राज्यों की विधानसभाओं के रूल्स ऑफ प्रोसिजर में संशोधन जरूरी होगा.
वन नेशन-वन इलेक्शन बिल को संसद में पास कराने के लिए लोकसभा और राज्यसभा में सरकार को दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होगी. वहीं, वन नेशन-वन इलेक्शन बिल को 15 राज्यों की विधानसभाओं से भी मंजूरी मिलना जरूरी होगा.
संविधान में कितने संशोधन करने होंगे?
संसद के दोनों सदनों से बिल के पास होने और राज्यों की विधानसभाओं से पास होने के बावजूद भी केंद्र सरकार की राह आसान नहीं है. इसके साथ ही सरकार को कुल 18 संवैधानिक संशोधनों की जरूरत होगी.
आर्टिकल - 83
संसद के दोनों सदनों के कार्यकाल से संबंधित
आर्टिकल -85
राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा को भंग करने की शक्ति
आर्टिकल - 172
राज्य विधानमंडलों का कार्यकाल
आर्टिकल - 174
राज्य विधानमंडलों को भंग करने से संबंधित
आर्टिकल - 356
राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की व्यवस्था
'वन नेशन-वन इलेक्शन' पर समिति ने दिए क्या सुझाव?
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई में वन नेशन-वन इलेक्शन को लेकर समिति बनाई गई थी. इस समिति ने लोकसभा चुनाव 2024 से पहले मार्च के महीने में केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी. समिति की ओर से सभी राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 2029 तक बढ़ाए जाने का सुझाव दिया गया है. इसके साथ ही त्रिशंकु विधानसभा या अविश्वास प्रस्ताव पर नए सिरे से चुनाव कराने का सुझाव दिया है.
समिति की ओर से पहले चरण में लोकसभा-विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने का सुझाव दिया गया है. वहीं, दूसरे फेज में 100 दिनों के भीतर लोकल बॉडी इलेक्शन कराए जा सकते हैं. इसी के साथ चुनाव आयोग से एक साथ चुनाव कराने के लिए सिंगल वोटर लिस्ट तैयार करने का सुझाव भी दिया गया है.
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