One Nation One Election in India: 'वन नेशन वन इलेक्शन कानून' को लेकर चर्चा तेज हो गई है. एक सितंबर को केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई, जो वन नेशन वन इलेक्शन का कानून बनाने की दिशा में तमाम स्टेक होल्डर्स के साथ चर्चा करेगी.


केंद्र सरकार के एक बड़े मंत्री ने एबीपी न्यूज के सामने दावा किया है कि अगर यह बिल संसद में लाया जाता है और पास हो जाता है तो उसके बाद 50 फीसदी से ज्यादा राज्यों की विधानसभा में इस कानून पर सहमति प्रस्ताव पास कराने के लिए पर्याप्त संख्या बल भी केंद्र सरकार के साथ है. अगर ऐसा होता है तो 2024 के लोकसभा चुनाव वन नेशन वन इलेक्शन के कानून के तहत और पूरे देश के विधानस. oytr1`qभा चुनाव भी एक साथ हो सकते हैं.


'एक देश, एक चुनाव' का आइडिया देश में एक साथ चुनाव कराए जाने को लेकर है. इसका मतलब यह है कि पूरे भारत में लोकसभा चुनाव और सभी राज्यों में विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे. दोनों चुनावों के लिए संभवतः वोटिंग भी साथ या फिर आस-पास होगी. वर्तमान में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव 5 साल का कार्यकाल पूरा होने या फिर विभिन्न कारणों से विधायिका के भंग हो जाने पर अलग-अलग कराए जाते हैं.


मामले पर राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ये बोले

बीजेपी सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा कि 1967 तक देश में लोकसभा-विधानसभा का एक ही चुनाव होता था. उसके बाद केंद्र सरकार सरकारें भंग करने लगी उसके बावजूद भी 1983 के अंदर इलेक्शन कमीशन ने फिर से रिकमेंडेशन दी कि एक ही साथ देश में चुनाव होने चाहिए. 1999 में इलेक्शन कमीशन ने रिकमेंडेशन दी कि देश में एक ही चुनाव हो. उसके बाद 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनने से पहले बीजेपी के घोषणा पत्र में यह बात लिखी हुई थी कि 'कोशिश करेंगे कि देश में लोकसभा-विधानसभा का एक ही चुनाव हो.


पीएम मोदी ने कही थी वन नेशन वन इलेक्शन की बात

2016 में प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में वन नेशन वन इलेक्शन की बात कही भी थी, 2017 में नीति आयोग ने अपनी रिकमेंडेशन दी कि एक ही चुनाव होना चाहिए, 2018 में लॉ कमीशन ने सुझाव दिया कि किस तरीके से लोकसभा-विधानसभा का एक ही चुनाव हो सकता है, 2019 में फिर से रिकमेंडेशन दी गई और अब पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में वन नेशन वन इलेक्शन के लिए कमेटी गठित कर दी गई है.


वन नेशन वन इलेक्शन बिल पर कितने राज्यों का मिल सकता है साथ?


वन नेशन वन इलेक्शन के लिए आधे से अधिक राज्यों का साथ आवश्यक है. अगर केंद्र सरकार बिल लाती है तो आवश्यक राज्यों की सहमति भर का संख्या बल बीजेपी के साथ है, सूत्रों के मुताबिक पूर्वोत्तर के सात राज्य, इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा सहित उड़ीसा, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश का साथ केंद्र सरकार को मिलेगा, ऐसे में 2024 के चुनाव भी वन नेशन वन इलेक्शन के दायरे में हो सकते हैं.

हालांकि 'इंडिया' गठबंधन के तमाम दल वन नेशन वन इलेक्शन कानून के खिलाफ हैं. शिवसेना (यूबीटी) की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने साफ कह दिया वन नेशन वन इलेक्शन संभव नहीं है.


जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में करना होगा बदलाव

वन नेशन वन इलेक्शन कानून पास कराने के लिए सरकार के सामने बड़ी चुनौती यह है कि बिल जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत ही लाना होगा और उसमें बदलाव करना होगा, इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 83, 85, 172, 174 और 356 में दो तिहाई बहुमत के साथ संसद के दोनों सदनों से पास कराना होगा. लोकसभा में दो तिहाई बहुमत सरकार के लिए मुश्किल नहीं है लेकिन राज्यसभा में दो तिहाई बहुमत से वन नेशन बंद इलेक्शन कानून को पास कराना सरकार के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकता है.


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