नई दिल्ली: केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय ने इस साल 1 जून से पूरे देश में वन नेशन-वन राशन कार्ड लागू करने का लक्ष्य तय किया है. पूरे देश में लागू होने के बाद कोई राशन कार्डधारी एक ही कार्ड से देश में कहीं से सरकारी राशन ख़रीद सकेगा.


राशन कार्डधारियों के लिए ख़ुशख़बरी


नए साल के पहले दिन देश के 12 राज्यों के राशन कार्डधारियों के लिए एक ख़ुशख़बरी आई है. अब देश के कुल 12 राज्यों में वन नेशन-वन राशन कार्ड योजना लागू हो गई है. इसे राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी भी कहा जाता है. जिन राज्यों में ये योजना लागू हो गई है उनमें आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, गोवा, झारखंड और त्रिपुरा शामिल हैं. इसका फ़ायदा इन राज्यों के तमाम राशन कार्डधारियों को होगा क्योंकि अब वो इनमें से किसी भी राज्य की सरकारी राशन की दुकान से अपना सरकारी राशन ख़रीद सकेंगे. उदाहरण के लिए, अब महाराष्ट्र में रहने वाला कोई व्यक्ति अगर सुदूर त्रिपुरा चला जाता है तो उसे नया राशनकार्ड बनवाने की ज़रूरत नहीं होगी और पुराने राशनकार्ड से ही त्रिपुरा में भी अपना सरकारी राशन ख़रीद सकेगा. इतना ही नहीं, महाराष्ट्र का उपभोक्ता अपने राज्य में किसी भी सरकारी राशन की दुकान से अपना राशन ख़रीद सकता है. इसके पहले पिछले साल 9 अगस्त को केंद्रीय उपभोक्ता मंत्री रामविलास पासवान ने महाराष्ट्र और गुजरात के बीच और आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी की शुरूआत की थी.


1 जून से पूरे देश में लागू हो जाएगी योजना


मोदी सरकार ने इस योजना को पूरे देश में लागू करने का लक्ष्य रखा है. केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय ने इस साल 1 जून से पूरे देश में वन नेशन-वन राशन कार्ड लागू करने का लक्ष्य तय किया है. पूरे देश में लागू होने के बाद कोई राशन कार्डधारी एक ही कार्ड से देश के किसी भी सरकारी राशन की दुकान से सरकारी राशन ख़रीद सकेगा. इस योजना से उन लोगों को ज़्यादा फ़ायदा होगा जो नौकरी या किसी अन्य वजह से एक जगह से दूसरी जगह आते जाते रहते हैं. बाक़ी बचे राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लागू करने के लिए इन राज्यों में राशन की दुकानों के कम्प्यूटरीकरण, इन दुकानों में इलेक्ट्रॅानिक पॅाइंट आन सेल ( ePoS) मशीनों को लगाने और उन्हें आधार से जोड़ने का काम तेज़ी से चल रहा है.


कुछ मुश्किलें भी हैं


इस योजना के सुचारू रूप से चलने में कुछ मुश्किलें भी आने की आशंका है. जैसे इस योजना में ePoS मशीनों का इस्तेमाल होता है जिसके संचालन के लिए कनेक्टिविटी की शिकायतें आम हैं. कनेक्टिविटी की समस्या के चलते सुदूर स्थानों में जिस उपभोक्ता को इसका फ़ायदा लेना है उसकी पहचान करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.


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