नई दिल्ली: आज पीएम मोदी के कार्यकाल को एक हजार इक्कासी दिन हो गये. देश के दूसरे सबसे बडे प्रदेश महाराष्ट्र में राजनीतिक माहौल कैसा है? महाराष्ट्र वो राज्य है जहां बीजेपी 2014 के बाद से लगातार बढ़ रही है. इस माहौल के बीच क्या क्या दो साल बाद महाराष्ट्र जीत पाएंगे मोदी?


महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 सीटें हैं, 2014 में 48 में से 42 सीटें एनडीए के खाते में आ गई जबकि कांग्रेस को 2 और एनसीपी को 4 सीटें मिलीं.उस वक्त हालात दूसरे थे, मोदी के साथ उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा था. अब दोनों सरकार में भले ही साथ हैं लेकिन राहें अलग-अलग हो चुकी हैं. सहयोगी शिवसेना विपक्ष की भाषा बोलती है और लगातार मोदी के लिए मुसीबत खड़ी करते हैं.


शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे भी मोदी को घेरने का कोई मौका छोड़ते नहीं हैं. ऐसे में शिवसेना तो मिलाकर रखना एक बड़ी चुनौती हो सकती है. अगर शिवसेना मोदी के खिलाफ लड़ती है तो नतीजें क्या होंगे, आइए मुंबई के वरिष्ट पत्रकार प्रताब आसबे से जानते हैं.


वरिष्ठ पत्रकार प्रताब आसबे मानते हैं कि अगर शिवसेना अलग लड़ती है और कांग्रेस-एनसीपी और राज ठाकरे की पार्टी नव निर्माण सेना महागठबंधन करके चुनाव लड़ते हैं तो मोदी को नुकसान होगा लेकिन फिर भी बीजेपी ही सबसे बड़ी पार्टी होगी.


बीजेपी-शिवसेना के बीच दरार आने के बाद बीजेपी ने लोकसभा के तुरंत बाद हुए विधानसभा और इसी साल हुए नगर पालिका के चुनाव अकेले लड़े. इसके बावजूद मोदी का ही करिश्मा था कि दोनों ही चुनाव में बीजेपी राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, यानि महाराष्ट्र में मोदी मैजिक बरकरार है.


महाराष्ट्र में हर चुनाव में बीजेपी की बंपर जीत से विपक्ष यानि कांग्रेस और एनसीपी जैसी पार्टियां कमजोर होती जा रही है. शरद पवार की बेटी सुप्रिया सूले भी मानती हैं कि चुनाव में मोदी मैजिक चल रहा है लेकिन साथ वो मोदी सरकार को फेल बताती हैं. राजनैतिक विशेषज्ञ भी मानते हैं कि मोदी सभी जातियों को साधने में माहिर हैं, ऐसे में बीजेपी अगर अगला लोकसभा चुनाव जीतती है तो उसके सिर्फ और सिर्फ एक कारण मोदी होंगे.


जानकारों की माने तो कुलमिलाकर महाराष्ट्र में विपक्ष की हालत खस्ता है, ना कांग्रेस, ना एनसीपी और ना ही राज ठाकरे मोदी को चुनौती देने की स्थिति में हैं. मोदी के लिए महाराष्ट्र में अगर कोई चुनौती है तो वो है उसकी सहयोगी शिवसेना, अगर शिवसेना साथ नहीं रहती तो बीजेपी के लिए मुश्किल हो सकती है. अगर शिवसेना बीजेपी के साथ रहती है तो रास्ता बिलकुल आसान होगा. यानि अभी के हालात देखते हुए यही लगता है कि 2019 में महाराष्ट्र मोदी को विजय यात्रा में बड़ा सहयोगी बन सकता है.


एक हजार दिन में मोदी ने महाराष्ट्र को क्या दिया ?




  • बेरोजगारी दूर करने के लिए 2016-17 में 2325 छोटे बड़े यूनिट महाराष्ट्र में खोले गए.

  • प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत महाराष्ट्र में 1 करोड़ 95 लाख 47 हजार 523 बैंक खाते खोले गए.

  • पिछले तीन सालों में महाराष्ट्र में 32 लाख 61 हजार शौचालय बनाए गए

  • महाराष्ट्र में अब तक तीन लाख लोगों को प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत फ्री में गैस कनेक्शन दिए गए.

  • प्रदूषण को कम करने के लिए महाराष्ट्र को इस साल 1 करोड़ 63 लाख 16 हजार 919 रूपए दिए गए.


क्या महाराष्ट्र जीत पाएंगे मोदी?
एबीपी न्यूज़ ने महाराष्ट्र के अलग अलग हिस्सों में लोगों से बात की. इस बातचीत में मोदी के काम पर लोगों को भरोसा है. ये भरोसा वोट में बदल भी सकता है. लेकिन राज्य की राजनीतिक परिस्थिति को देखे तो शिवसेना कब क्या कर ले कहा नहीं जा सकता. वैसे बिना शिवसेना के भी बीजेपी लगातार आगे बढ़ रही है.


बिना शिवसेना के बीजेपी विधानसभा चुनाव जीत चुकी है. बिना शिवसेना के महाराष्ट्र नगर निगम में बड़ी जीत हुई. बीएमसी के चुनाव में भी बीजेपी का प्रदर्शन बिना शिवसेना के बेहतर रहा.


इस बातचीत से साफ है कि बीजेपी बिना शिवसेना के भी लोकसभा चुनाव लड़ती है तो नतीजे उसके पक्ष में जा सकते हैं. लेकिन ऐसा भी नहीं माना जा सकता कि बिना शिवसेना के बीजेपी बड़ी जीत हासिल कर ही लेगी. वैसे इस वक्त मोदी सब पर भारी तो दिख रहे हैं.