पीएम मोदी और उद्धव ठाकरे की 30 मिनट तक चली मुलाकात, क्या है इसके मायने?
ठाकरे ने कहा कि हम भले ही राजनीतिक रूप से साथ नहीं हैं लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हमारा रिश्ता टूट चुका है. मैं कोई नवाज शरीफ से मिलने नहीं गया था तो अगर मैं पीएम से अलग से मिलता हूं तो इसमें कुछ गलत नहीं होना चाहिए.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे की वन टू वन मुलाकात करीब 30 मिनट चली. उद्धव ठाकरे के प्रधानमंत्री के आवास पर पहुंचने के तुरंत बाद पीएम और उद्धव एक साथ बैठे. बाद में अशोक चव्हाण और अजित पावर को बैठक में बुलाया गया.
शिवसेना के सूत्रों के मुताबिक इस मुलाकात का मतलब ये बताना था कि शिवसेना का साथ बीजेपी ने जहां छोड़ा था हम आज भी वहीं खड़े हैं. हमने हिंदुत्व नहीं छोड़ा, हमने बीजेपी को नहीं छोड़ा, हमने वायदा खिलाफी नहीं की, बड़े भाई और छोटे भाई के बीच कुछ लोगों ने खाई चौड़ी की. हम आज भी वही खड़े आपका इंतजार कर रहे हैं. इसका मतलब है कि आज अगर फिर से बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन बनता है तो वही फॉर्मुला फिर से लागू होगा, जिसे मतोश्री में बैठकर 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले हमें बताया गया था यानी पहले शिवसेना का मुख्यमंत्री होगा और बाद में बीजेपी का सीएम बनेगा. दोनों का कार्यकाल आधा-आधा होगा.
ये दुनिया वाले तो जरूर पूछेंगे. वो पूछेंगे कि 30 साल पुराने साथी बिछड़ने के बाद जब अकेले में मिले तो अकेले में क्या बात हुई? वो पूछेंगे कि जब उपमुख्यमंत्री अजित पवार और मंत्री अशोक चव्हाण के साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात हो ही गई थी, तो फिर अकेले में 30 मिनट की मुलाकात में क्या बात हुई? उद्धव ठाकरे के जवाब ने इस सवाल के रहस्य को और गहरा दिया.
'मैं कोई नवाज शरीफ से मिलने नहीं गया'
ठाकरे ने कहा कि हम भले ही राजनीतिक रूप से साथ नहीं हैं लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हमारा रिश्ता टूट चुका है. मैं कोई नवाज शरीफ से मिलने नहीं गया था तो अगर मैं पीएम से अलग से मिलता हूं तो इसमें कुछ गलत नहीं होना चाहिए. शिवसेना के सूत्रों के मुताबिक इस मुलाकात का मतलब ये बताना था कि शिवसेना का साथ बीजेपी ने जहां छोड़ा था, शिवसेना आज भी वहीं खडी है.
कहते हैं कि युद्ध और प्रेम में सब कुछ जायज होता है. इसको थोड़ा बढ़ाएंगे तो आप पाएंगे कि राजनीति में भी सब कुछ जायज ही मान लिया जाता है. तभी तो शिवसेना चुनाव भले बीजेपी के साथ लड़ी थी लेकिन मुख्यमंत्री बनी एनसीपी और कांग्रेस के दम पर. बीजेपी उद्धव पर हमले का कोई मौका नहीं छोडती और शिवसेना में पीएम मोदी पर कटाक्ष में कोई कमी नहीं होती लेकिन इन दोनों के बीच पीएम मोदी और सीएम उद्धव ठाकरे ने कभी मर्यादा की लक्ष्मण रेखा नहीं लांघी.
इस बात को प्रधानमंत्री मोदी के उस बयान से समझ सकते हैं कि उन्होंने कोरोना से लड़ने में महाराष्ट्र सरकार की तारीफ की थी. अब ये अकेले की मुलाकात ये भी बताती है कि प्रधानमंत्री अगर महाराष्ट्र की महाअघाड़ी सरकार के सूत्रधार पवार से अकेले मिल सकते हैं तो उद्धव से मिलकर वो ये पैगाम भी दे सकते हैं कि उनका दरवाजा सबके लिए खुला है.
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