Parliament Monsoon Session: संसद के मानसून सत्र में हंगामा के चलते आज भी कोई कामकाज नहीं हो सका. सत्र दूसरे हफ़्ते में पहुंच चुका है और विपक्ष जासूसी कांड के मुद्दे पर लगातार सदन चलने नहीं दे रहा है. सरकार ने विपक्ष के साथ बातचीत कर गतिरोध खत्म करने की कोशिश की है लेकिन अब तक कोई सुलह नहीं हो पाई है.
मंगलवार को लोकसभा और राज्यसभा में जो नजारा दिखा वह बाकी दिनों से कुछ अलग नहीं था. जासूसी कांड के विरोध में अपने अपने हाथों में तख्तियां लिए हुए ज्यादातर सांसद मोदी सरकार के ख़िलाफ़ नारेबाजी करते दिखाई दे रहे हैं. इस मुद्दे पर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस समेत विपक्ष की कई पार्टियां एकजुट दिखाई दे रही हैं. सबकी मांग है कि इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री या गृह मंत्री की उपस्थिति में संसद में चर्चा हो और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक जांच कमिटी गठित की जाए. वैसे, कहने के लिए राज्यसभा में सरकार ने हंगामें के बीच ही एक बिल पारित करवा लिया. सोमवार को भी लोकसभा में हंगामें के बीच ही दो बिल पारित हुए थे.
जासूसी कांड को लेकर अपनी आगे की रणनीति तय करने के लिए आज कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक भी हुई. बैठक में राहुल गांधी, अधीर रंजन चौधरी, एनसीपी से सुप्रिया सुले, बीएसपी से रितेश पांडेय और अन्य नेता मौजूद थे.
उधर सरकार लगातार ये कहती आ रही है कि वो हर विषय पर चर्चा के लिए तैयार है. सरकार आरोप लगा रही है कि विपक्ष संसद में चर्चा से भाग रहा है. केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने बताया कि सरकार ने संसद का गतिरोध ख़त्म करने के लिए लगातार विपक्ष के नेताओं से बात की है. इसी सिलसिले में आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में टीएमसी के नेता सुदीप बंदोपाध्याय समेत लोकसभा में विपक्ष के अन्य नेताओं से भी बात की. पिछले हफ़्ते भी शुक्रवार को राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने विपक्ष के सभी नेताओं को चाय पर चर्चा करने के लिए बुलाया था लेकिन उस बैठक में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस शामिल नहीं हुई थी. पीयूष गोयल ने सोमवार को फिर विपक्ष के नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया था लेकिन बात आगे नहीं बढ़ सकी.
वैसे बवाल केवल जासूसी कांड को लेकर नहीं है. सत्र शुरू होने से पहले विपक्ष की ओर से कृषि क़ानूनों, वैक्सीन नीति समेत कोरोना का प्रबंधन और महंगाई जैसे मुद्दे उठाए जा रहे थे लेकिन जासूसी कांड की गूंज इन मुद्दों की आवाज़ कहीं दब गए.
अकाली दल जैसी पार्टियां रोज़ कृषि क़ानूनों का मुद्दा उठाती आ रही है. आज भी अकाली दल और अब पंजाब में उसकी सहयोगी बहुजन समाज पार्टी के नेताओं ने सदन के भीतर और बाहर कृषि क़ानूनों का मुद्दा उठाया. अकाली दल और बसपा समेत 7 विपक्षी पार्टियों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक पत्र लिखकर संसद में जल्द से जल्द किसानों और जासूसी कांड के मुद्दे पर बहस करवाने के लिए हस्तक्षेप करने की अपील की है. हालांकि कृषि क़ानूनों के मसले पर अकाली दल ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगा दिया.
ऐसे में सवाल अब पूरे मानसून सत्र में कामकाज को लेकर उठने लगे हैं. नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद शायद ही कोई सत्र ऐसा रहा होगा जब पूरा सत्र ही हंगामे की भेंट चढ़ जाए. इसलिए सरकार और विपक्ष को बातचीत करके संसद चलाने का कोई रास्ता निकलना ही पड़ेगा, नहीं तो मानसून सत्र के पूरी तरह धुल जाने का ख़तरा मंडराने लगेगा.