प्याज पूरे देश के तकरीबन हर घर में इस्तेमाल होने वाला वस्तु है. हर साल सितंबर से नवंबर के बीच प्याज के दाम बढ़ जाते हैं. इस साल भी अनियमित मानसून के कारण सितंबर से नवंबर तक प्याज के दाम बढ़ेंगे. क्रिसिल रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल मानसून की अनियमित बारिश से खरीफ की फसल की कटाई में देरी हो सकती है, जिससे त्योहारी सीजन में मांग बढ़ने पर प्याज की कीमतों में तेजी आने की संभावना है.
इस साल 3 जून से मानसून की शुरूआत हुई, मानसून ने खरीफ फसल के अच्छे सीजन की शुरूआत के संकेत दिए थे, इसलिए किसानों ने जल्द खराब होने वाले टमाटर की फसल के जगह पर मिर्च और प्याज को तरजीह दी थी. हालांकि रिपार्ट मे यह बताया गया है कि जुलाई के महीने में मानसून पर ब्रेक लगा, और दो बारिश में दो फीसदी की गिरावट दर्ज की गई, वहीं अगस्त में जब फसल के लिए प्रत्यारोपन का सबसे अच्छा महीना था तब यह आंकाड़ा और गिर गया और औसतन मानसून में 9 फीसदी का घाटा हुआ.
जून-जुलाई में होती है खरीफ फसल की बुआई
खरीफ प्याज की फसल आमतौर पर जून-जुलाई में बोई जाती है और अक्टूबर-नवंबर में काटी जाती है, जिसके परिणामस्वरूप सितंबर से नवंबर के महीने कमोडिटी के लिए कम मौसम होते हैं, क्योंकि तब तक रबी प्याज का स्टॉक पहले से लगभग समाप्त हो जाता है, और प्याज की नई फसल बाजार में आ जाती है.
खरीफ प्याज मानसून के माध्यम से बढ़ता है, जिसके परिणामस्वरूप नमी की मात्रा अधिक होती है और शेल्फ-लाइफ कम होती है, लेकिन यह सितंबर से नवंबर तक भारी-मांग वाले महीनों में आपूर्ति में पुल के रूप में कार्य करता है, इस दौरान देश के अलग-अलग भागों में त्योहारी मौसम होता है.
चक्रवात के कारण फसल हुई प्रभावित
इस साल संग्रहीत रबी की फसल भी चक्रवात तौके के कारण प्रभावित हुई थी, जिसने मई 2021 में महाराष्ट्र और गुजरात के प्रमुख प्याज उत्पादक क्षेत्रों को प्रभावित किया, ऐसे में आपूर्ति प्रभावित होने की संभावना है, जिससे कीमतों में तेजी आ सकती है.
हर साल सितंबर-नवंबर के बीच प्याज के दाम आसमान छूने लगते हैं. इस साल भी इनके दामों में उछाल का अंदेशा लगाया जा चुका है. अब देखना होगा कि इस साल प्याज के दाम कितने बढ़ते हैं.
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