महामारी काल में की गई रिसर्च बताती है कि भारत के स्वास्थ्य सिस्टम को नर्स, प्रशिक्षित पैरामेडिक्स और संबंधित स्वास्थ्य कर्मचारियों समेत स्वास्थ्य पेशेवरों की कमी से जूझना पड़ा है. नर्स-डॉक्टर के बीच का अनुपात 1.7:1 खराब लेवल पर है.
स्वास्थ्य सिस्टम की खामियों को रिपोर्ट ने किया उजागर
विश्व स्वास्थ्य संगठन और पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया की रिपोर्ट काफी विविधता के साथ सभी राज्यों के स्वास्थ्य कार्यबल में कौशल मिश्रित अनुपात को दर्शाती है. रिपोर्ट में नर्स से लेकर डॉक्टर के अनुपात को 1.7:1 और संबंधित स्वास्थ्य कर्मचारियों-डॉक्टरों के बीच का अनुपात 1.1 हिसाब लगाया गया है. योग्यता पर विचार किया जाए तो ये आंकड़ा और खराब होता है. डॉक्टर से लेकर नर्स तक का श्रम बल आधारित अनुपात प्रयाप्त योग्यता सुधारकर मुश्किल से 1:1.3 होता है.
भारत में हर 670 लोगों के लिए 1 नर्स WHO के खिलाफ
नर्स-डॉक्टर के लिए भारत में एक्सपर्ट ग्रुप की सिफारिश 3:1 अनुपात पर है. हालांकि, कुछ राज्यों में ज्यादा डॉक्टर हैं, उसके विपरीत दूसरे राज्यों कम नर्स. पंजाब में नर्स-डॉक्टर के बीच 6.4:1, दिल्ली में 4.5:1 का अनुपात है. दूसरी तरफ बिहार, जम्मू-कश्मीर, मध्य प्रदेश में हर डॉक्टर पर एक से भी कम नर्स है. यहां तक कि केरल में भी, जहां नर्सों की संख्या बहुत ज्यादा है, वहां नर्स- डॉक्टर तक का अनुपात 1:1 से कम है. 15वें वित्त आयोग के मुताबिक, जनसंख्या पर नर्स का अनुपात भारत में 1:670 है, जबकि ये संख्या विश्व स्वास्थ्य संगठन के नियम 1:300 के खिलाफ है. पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश में डॉक्टरों का जमावड़ा काफी है लेकिन नर्स-डॉक्टर के बीच की गिनती कम है. उसी तरह, दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ में नर्स-डॉक्टर का अनुपात ज्यादा है लेकिन प्रति 10 हजार लोगों पर डॉक्टरों का जमावड़ा बेहद कम.
एनएसएसओ 2017-18 के डेटा का इस्तेमाल रिपोर्ट में किया गया है, जो सक्रिय स्वास्थ्य कार्य बल को दर्शाता है. देश में डॉक्टरों की कमी पर बहुत ज्यादा ध्यान दिया जाता है. लेकिन संबंधित स्वास्थ्य कर्मचारियों पर उतना फोकस नहीं रहता है. हालांकि, स्वास्थ्य सेवा में उचित डिलीवरी के लिए उनकी भी जरूरत समान रूप से महत्वपूर्ण है. अब समय आ गया है कि कमी पर काबू पाने के लिए अधिकारी इस दिशा में काम करना शुरू करें, क्वालिटी और मात्रा दोनों के स्तर पर. एक ऐसे वक्त में जबकि बेरोजगारी बहुत ज्यादा है, हेल्थकेयर सेक्टर का ये सब सेक्शन एक प्रमुख नौकरी पैदा करनेवाला भी हो सकता है.
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