NDA Seats For Girls: सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) के दरवाजे लड़कियों के लिए खुल तो गए, लेकिन सिर्फ 19 लड़कियों को ही दाखिला मिल पाएगा. कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि यह पहली बार था, इसलिए इसे अंतरिम व्यवस्था कह सकते हैं, लेकिन ऐसा हमेशा नहीं रहना चाहिए. इस पर सरकार ने जवाब दिया कि सैन्य बलों की जरुरत के हिसाब से ही एनडीए में लड़कियों को सीटें दी जा सकती हैं. 


पिछले साल सितंबर में दिए आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) में लड़कियों को दाखिला न देना लैंगिक आधार पर भेदभाव है. कोर्ट ने कहा था कि 14 नवंबर को होने वाली प्रवेश परीक्षा में लड़कियां भी शामिल होंगी. आज याचिकाकर्ता की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि कुल 370 सीटों में से लड़कियों के लिए सिर्फ 19 सीटें रखी गई हैं. याचिकाकर्ता के वकील चिन्मय प्रदीप शर्मा ने कहा, "इस साल होने जा रही परीक्षा में भी सिर्फ 19 सीटें ही लड़कियों के लिए रखे जाने की बात कही जा रही है. यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुकूल नहीं कहा जा सकता."


'पिछली बार जल्दबाजी में लड़कियों को परीक्षा में शामिल किया गया'


इस पर मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस संजय किशन कौल और एमएम सुंदरेश की बेंच ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा. बेंच की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस कौल ने कहा, "पिछली बार जल्दबाजी में लड़कियों को परीक्षा में शामिल किया गया, क्योंकि अंतिम मौके पर कोर्ट ने दबाव बनाया था. उस समय लड़कियों के लिए 19 सीटें रखना सही हो सकता है, लेकिन हमें बताया गया था कि मई 2022 तक सारा बुनियादी ढांचा तैयार हो जाएगा. आप अभी भी सीटों की संख्या वही बनाए रखना चाहते हैं?"


'सैन्य बलों की आवश्यकता के हिसाब से सीटें रखी जा सकती हैं'


कोर्ट के सवाल का जवाब देते हुए केंद्र सरकार के लिए पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा, "बात एनडीए में लड़कियों के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करने और सुविधाएं तैयार करने की नहीं है. लड़कियों के लिए उतनी ही सीटें रखी जा सकती हैं, जितना सैन्य बलों की आवश्यकता है." 


कोर्ट से इस पर लिखित हलफनामा दाखिल करने की अनुमति मांगी


एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट से इस पर लिखित हलफनामा दाखिल करने की अनुमति मांगी. उन्होंने कहा कि थल सेना, वायु सेना और जल सेना में अधिकारियों की कुल आवश्यकता से जुड़ा आंकड़ा देखने के बाद कोर्ट के सामने स्थिति स्पष्ट हो सकेगी. कोर्ट इसकी अनुमति देते हुए कहा कि सरकार एनडीए के अलावा राष्ट्रीय इंडियन मेडिकल मिलिट्री कॉलेज और राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल में लड़कियों को दिए जा रहे दाखिले पर भी स्थिति स्पष्ट करते हुए 3 हफ्ते में हलफनामा दाखिल करे. कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को सरकार के हलफनामे का जवाब देने के लिए 2 हफ्ते का समय देते हुए मार्च में मामले को सुनवाई के लिए लगाने की बात कही.


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