'कनाडा में 2% सिख, जो कर रहे मांग... उन्हें वहीं दे दो खालिस्तान', बोले ब्रिटिश कोलंबिया के पूर्व प्रीमियर
ब्रिटिश कोलंबिया में प्रीमियर रह चुके उज्जल दोसांझ ने कहा कि कनाडा में 1970 के दशक से खालिस्तानी विचारधारा है, जो जगजीत सिंह चौहान के जरिए यहां पहुंची.
खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर कनाडा के बयान के बाद भारत के साथ रिश्तों में आई खटास के बीच ब्रिटिश कोलंबिया के पूर्व प्रीमियर उज्जल दोसांझ ने कहा कि दोनों देशों को गतिरोध को तोड़ने के लिए समझदारी और बड़ा दिल दिखाने की जरूरत है. उन्होंने यह भी कहा कि कनाडा में रह रहे सिखों को अगर खालिस्तान चाहिए तो उनके लिए वहीं बना देना चाहिए.
द इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में उज्जल दोसांझ ने कहा कि कनाडा में सिर्फ 2 फीसदी सिख हैं. अगर वे खालिस्तान चाहते हैं तो उनके लिए कनाडा के अल्बर्टा या सस्केचेवान में बना दिया जाना चाहिए. उज्जल दोसांझ 18 साल की उम्र में कनाडा में बस गए थे. हालांकि, उनका परिवार अभी भी पंजाब के दोसांझ में रहता है.
उज्जल दोसांझ ने कहा- निचले स्तर पर हैं दोनों देशों के रिश्ते
एक-दूसरे के राजनयिक को निष्कासित किए जाने के बाद कनाडा और भारत के संबंधों को लेकर दोसांझ ने कहा कि इस समय दोनों देशों के रिश्ते निचले स्तर पर हैं. उनका यह भी कहना है कि सिर्फ दोनों देशों की लीडरशिप बदलने से ही रिश्ते संभल सकते हैं. उज्जल ने कहा कि दोनों देशों में अविश्वास की स्थिति पैदा हो चुकी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मजबूत राष्ट्रवाद की बात करते हैं, जबकि ट्रूडो का ध्यान जागरूक दृष्टिकोण पर ज्यादा है और दोनों नेता इसे दिखाना चाहते हैं. ऐसे में समझदारी और बड़ा दिल दिखाने की जरूरत है.
दोसांझ बोले- 1970 के दशक से कनाडा में खालिस्तानी विचारधारा
दोसांझ ने कहा, 'कनाडा में 1970 के दशक से खालिस्तानी विचारधारा है, जो जगजीत सिंह चौहान के जरिए यहां पहुंची. खालिस्तान आंदोलन की जड़ें यहां इसलिए फैलीं क्योंकि इन लोगों में कनाडा के साथ सीमित जुड़ाव है और वे अपनी जगह से कटा हुआ महसूस करते हैं. वहीं, उनके पास कनाडाई सरकार को लेकर समझ भी कम है और वे भारत के खिलाफ रंजीश लेतक बैठे हैं.'
उज्जल ने कहा- कई सिख युवा कभी भारत नहीं गए, लेकिन दिमाग में नैरेटिव है
दोसांझ ने आगे कहा, '1980 के दशक में भारत के सिखों पर अत्याचार हुए, लेकिन अब वे उससे उबर चुके हैं और कनाडा में रह रहे सिखों के दिल और दिमाग इसे लेकर अभी भी शिकायतें हैं. सोशल नेटवर्किंग और जब धार्मिक स्थलों पर वह जाते हैं तो उनके मन में ये भावनाएं और ज्यादा उत्तेजित हो जाती हैं. इनमें से कितने ऐसे हैं, जो खालिस्तान बनाए जाने की वकालत करते हैं, लेकिन उन्होंने भारत में कभी कदम भी नहीं रखा. कनाडा के कई सिख युवा हैं, जो कभी भारत नहीं गए, लेकिन उनके माता-पिता ने जो कहानियां और बातें उन्हें बताईं वे उनके जहन में बैठ गईं और उनके दिमाग में नैरेटिव सेट हो गया.'
दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को किया निष्कासित
18 जून को हरदीप सिंह निज्जर की मौत हुई थी. इसके बाद सोमवार (18 सितंबर) को कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो ने निज्जर की हत्या में भारत के शामिल होने का आरोप लगाते हुए वहां भारत के शीर्ष राजनयिक पवन कुमार राय को निष्कासित करने का आदेश दे दिया. भारत ने भी तुरंत इस पर प्रतिक्रिया दी और देश में कनाडा के उच्चायुक्त को तलब कर आरोपों का खंडन किया और यहां कनाडाई शीर्ष राजनयिक को देश छोड़ने का फरमान सुना दिया.
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