नई दिल्ली: खराब वायु गुणवत्ता वाले दिनों में दिल्ली की सड़कों पर सिर्फ सीएनजी वाहनों को चलाने का फैसला हो सकता है. सभी तरह के पेट्रोल-डीजल के वाहनों पर रोक लग सकती है, इसमें दो पहिया वाहन भी शामिल हैं. सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त ईपीसीए ने सोमवार को टास्क फोर्स को इस बारे में विचार करने को कहा. ईपीसीए चेयरमैन भूरे लाल ने कहा कि हमारे पास कोई रास्ता नहीं बचा है, इसलिए इतने सख्त कदम उठाने पड़ सकते हैं.


ईपीसीए चेयरमैन ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में सभी गाड़ियों पर स्टीकर ना होने के चलते डीजल और पेट्रोल की गाड़ियों की पहचान संभव नहीं है. इसी वजह से सभी गाड़ियों को कुछ समय के लिए बंद करना पड़ सकता है.


ईपीसीए ने कल केवल उन ट्रकों को शहर में प्रवेश की इजाजत दी है जो दिल्ली की सीमा पर फंसे हैं. शहर के बाहर एक हजार से ज्यादा ट्रकों के फंसे होने की स्थिति को देखते हुए यह इजाजत दी गयी है. साथ ही कहा गया है कि 12 नवंबर को रात ग्यारह बजे से 13 नवंबर को सुबह सात बजे तक उन्हें टोल या पर्यावरण हर्जाना राशि (ईसीसी) चुकाने से भी छूट होगी.


दिल्ली में हवा की गुणवत्ता में सुधार के बाद भी स्थिति गंभीर बनी हुई है. दिल्ली में मंगलवार सुबह हवा में अतिसूक्ष्म कणों- पीएम 2.5 का स्तर 373 दर्ज किया गया जबकि पीएम 10 का स्तर 286 दर्ज किया गया. वहीं सोमवार को दिल्ली का 12 घंटे का औसत एयर इंडेक्स 399 रहा. यह पहली बार 400 से नीचे आया.


केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक, दिल्ली के 19 इलाकों में वायु गुणवत्ता ''गंभीर'' दर्ज की गई जबकि 17 स्थानों पर यह ''बेहद खराब'' श्रेणी में रही. गाजियाबाद, फरीदाबाद, ग्रेटर नोएडा और नोएडा में हवा की गुणवत्ता गंभीर रही जबकि गुड़गांव में स्थिति में थोड़ा सुधार देखने को मिला है. वहां पर गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में दर्ज की गयी.


वायु गुणवत्ता सूचकांक में शून्य से 50 अंक तक हवा की गुणवत्ता को ''अच्छा'', 51 से 100 तक ''संतोषजनक'', 101 से 200 तक ''सामान्य'', 201 से 300 के स्तर को ''खराब'', 301 से 400 के स्तर को ''बहुत खराब'' और 401 से 500 के स्तर को ''गंभीर'' श्रेणी में रखा जाता है.