नई दिल्लीः मौलाना आज़ाद की 130वीं जयंती के कार्यक्रम पर केवल तीन सांसद ही संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित कार्यक्रम में शरीक हुए. राज्यसभा में नेता विपक्ष ग़ुलाम नबी आजाद, संसदीय कार्य राज्यमंत्री विजय गोयल और बीजेपी सांसद सत्यनारायण जटिया के अलावा लोकसभा की महासचिव ने आज़ाद के स्मृति कार्यक्रम में उन्हें पुष्पांजलि दी.


रविवार के इस आयोजन की तस्वीर महज़ 11 दिन पहले सरदार पटेल की जयंती के मुकाबले कहीं फीकी थी. पटेल जयंती के कार्यक्रम सरकार ने धूमधाम से व्यापक पैमाने पर आयोजित किया था. वहीं सेंट्रल हॉल में उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए देने के लिए भी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत कई आला कांग्रेस नेता और लालकृष्ण आडवाणी सहित कई वरिष्ठ बीजेपी नेता जमा हुए थे.


31 अक्टूबर को पटेल जयंती पर पीएम मोदी ने दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा के तौर पर बनी उनकी मूर्ति स्टेच्यू ऑफ यूनिटी का उद्घाटन किया था. वहीं कांग्रेस में पटेल की विरासत और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के खिलाफ देश के पहले गृह मंत्री की कार्यवाही का हवाला देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी में ट्वीट कर पीएम मोदी और सरकार पर सियासी तंज किए थे. हालांकि देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी, कांग्रेस के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष रहे मौलाना आज़ाद की स्मृति पर खबर लिखे जाने तक मौजूदा कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी का एक ट्वीट तक नहीं आया.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम ने मौलाना आज़ाद और आचार्य जेबी कृपलानी की जन्मजयंती पर ट्वीट कर कहा कि दोनों महान विभूतियां थी जिनके स्वाधीनता संग्राम में योगदान और समानता, शिक्षा व न्याय के लिए किए काम को भुलाया नहीं जा सकता. लोकसभा चुनाव के पहले बीजेपी के प्रधानमंत्री पद उम्मीदवार के तौर पर लिखे 14 नवम्बर 2013 को लिखे ब्लॉग में तत्कालीन गुजरात सीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि पटेल और मौलाना आज़ाद के बीच कई बातों पर मतभेदों थे. लेकिन इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि दोनों नेताओं ने देश प्रेम और समर्पण के साथ महात्मा गांधी के नेतृत्व में काम किया था. इतना ही नहीं मोदी ने अपने इसी लेख में यह सवाल भी उठाया था कि क्या इन नेताओं को केवल इसलिए भुला दिया जाए या कम याद किया जाए क्योंकि वो एक परिवार विशेष से नहीं थे? बीजेपी के नेता मौलाना आज़ाद को सरदार पटेल के साथ ही स्वतंत्रता आंदोलन का ऐसा नायक बताते आए हैं जिसे परिवारवाद की राजनीति ने भुला दिया.


पटेल और मौलाना आज़ाद दोनों ही स्वतंत्रता आंदोलन के बड़े नेता थे और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल लाल नेहरू के मंत्रिमंडल के सदस्य थे. साथ ही उन्हें देश में शिक्षा सुधारों की नींव रखने वाला दूरदर्शी नेता माना जाता है.


एबीपी न्यूज से खास बातचीत में गुलाम नबी आजाद ने कहा की आज़ादी के कद्दावर नायक के स्मृति कार्यक्रम के लिए महज़ 3 सांसदों का जुटना अफ़सोसजनक है. आज़ाद ने कहा पीएम को मौजूद रहना चहिए था. साथ ही उन्होंने सवाल किया कि अब पीएम बताएं कि आखिर मौलाना आज़ाद को किसने भुला दिया? हालांकि कार्यक्रम में राहुल गांधी व अन्य कांग्रेस नेताओं की अनुपस्थिति पर उन्होंने इतना ही कहा कि यह अपनी-अपनी सोच का विषय है.


मामले पर एबीपी न्यूज से बातचीत में संसदीय कार्य राज्यमंत्री विजय गोयल ने कहा कि महान नेताओं के स्मृति कार्यक्रम को संख्या गणित से नहीं जोड़ा जाना चाहिए. वहीं सांसदों की अनुपस्थिति पर उनकी दलील थी कि संसद सत्र न होने के कारण अधिकतर सांसद अपने क्षेत्र में हैं. पीएम की गैर मौजूदगी पर ग़ुलाम नबी आजाद के उठाए सवालों पर पलटवार करते हुए गोयल ने कहा कि हम भी गिना सकते हैं कि कांग्रेस के कितने नेता कब कब बड़े कार्यक्रमों में नदारद रहे हैं. इतना ही नहीं उन्होंने सवाल किया किया कांग्रेस के ही बड़े नेता रहे मौलाना आज़ाद को श्रद्धांजलि देने के लिए उनकी पार्टी से एक ही नेता क्यों आया?


हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब जन्म जयंती कार्यक्रमों के लिए संसद के सेंट्रल हॉल में लगी महानायकों की तस्वीरों पर पुष्पांजलि देने को मुट्ठी भर नेता भी जमा नहीं होते. गत 5 नवम्बर को देशबंधु चितरंजन दास की जयंती पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए चंद सरकारी अधिकारी और एक-दो नेता ही पहुंचे थे.