नई दिल्ली: निर्वाचन आयुक्त ओ पी रावत ने मंगलवार को देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त का पदभार संभाल लिया. पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त ए के जोती ने रावत को आज कार्यभार सौंपा. रावत ने कहा कि देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया को सुनिश्चित कराना उनकी मुख्य प्राथमिकता होगी.
ओ पी रावत ने कहा ‘‘निर्वाचन आयोग का दायित्व देश में स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराना है. चुनाव आयोग ने इस परंपरा को बखूबी आगे बढ़ाया है. मैं भी इस परंपरा को मजबूत करने की कोशिश करूंगा.’’ भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के मध्य प्रदेश कैडर के 1977 बैच के अधिकारी रावत उत्तर प्रदेश झांसी के रहने वाले हैं. दो दिसंबर 1953 को जन्मे रावत का बुंदेलखंड से गहरा नाता है.
रावत 31 दिसंबर 2013 को केंद्र सरकार में भारी उद्योग और लोक उपक्रम मंत्रालय में सचिव पद से सेवानिवृत्त हुए थे. इसके बाद वे 14 अगस्त 2015 को निर्वाचन आयुक्त बनाए गए थे. इससे पहले रावत मध्य प्रदेश में साल 1983 से 1988 तक नरिसंहपुर और इंदौर के जिला कलक्टर रहे थे. इसके बाद वह मध्य प्रदेश सरकार में विभिन्न विभागों में प्रमुख सचिव के अलावा साल 2004 में मुख्यमंत्री के भी प्रमुख सचिव रहे थे.
1993 में केन्द्र सरकार में पहली बार नियुक्ति पर उन्हें रक्षा मंत्रालय में संयुक्त सचिव के पद पर तैनात किया गया था. रावत को मई 1994 में सुयंक्त राष्ट्र चुनाव पर्यवेक्षक के रूप में दक्षिण अफ्रीका भेजा गया था. ओ पी रावत को उनकी ईमानदार और बेदाग छवि के लिए उन्हें उत्कृष्ट लोक सेवा सम्मान से नवाजा जा चुका है.
रावत की प्रारंभिक शिक्षा पिता पंडित रामस्वरूप रावत की देख रेख में झांसी में हुई. उनके पिता झांसी में प्राइमरी स्कूल में टीचर थे. स्थानीय राजकीय इंटर कालेज से इंटरमीडिएट और विपिन बिहारी डिग्री कालेज से बीएससी डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से भौतिक विज्ञान में एमएससी की पढ़ाई पूरी की. पढ़ाई पूरी करने के बाद 1976 में रावत भारतीय वन सेवा में चयनित हुए. इसके एक साल बाद वह प्रशासनिक सेवा के लिए चयनित हुए थे. इस बीच 1989-90 में उन्होंने ब्रिटेन में समाज विकास नियोजन में भी एमएससी की डिग्री हासिल की. रावत की दो बेटियां हैं. दोनों ही अमेरिका में रहती हैं. एक बेटी डॉक्टर है और दूसरी मैनेजमेंट में शोध कर रही है.