लखनऊ: खबर ये है कि यूपी पुलिस को आख़िरकार अपना नया बॉस मिल ही गया. जिनके नाम की चर्चा थी, राजतिलक उनका ही हुआ. ओपी सिंह अब शुभ मुहूर्त में मंगलवार यानी 23 जनवरी को डीजीपी का चार्ज लेंगे. वे 1983 बैच के आईपीएस अफ़सर हैं. अभी सीआईएसएफ़ के डीजी हैं और सोमवार को रिलीव हो जायेंगे. पिछले तीन हफ़्तों से यूपी पुलिस बिना डीजीपी के ही काम कर रही थी.
सुलखान सिंह यूपी के डीजीपी पद से 30 दिसंबर को रिटायर हो गए थे. उसके अगले ही दिन योगी सरकार ने ओपी सिंह को डीजीपी बनाने का प्रस्ताव प्रधान मंत्री ऑफिस को भेज दिया था. यूपी के चीफ़ सेक्रेटरी, प्रमुख गृह सचिव और सीएम के प्रिंसिपल सेक्रेटरी की कमेटी ने सिंह के नाम पर मुहर लगाई थी. लेकिन फिर पेंच फंस गया. कैसे और क्यों ? ये आज भी रहस्य बना हुआ है.
पहले तो ये बताया गया कि ओपी सिंह पहली जनवरी को डीजीपी का चार्ज लेंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. फिर तारीख बदलती गई. जनवरी के पहले हफ्ते में ओपी सिंह टेकनपुर में ऑल इंडिया डीजीपी कॉन्फ्रैंस में चले गए. फिर ख़बर आई कि वे खरमास के बाद डीजीपी का चार्ज लेंगे. खरमास को अशुभ माना जाता है. मकर संक्रान्ति भी बीत गया, लेकिन ओपी की फाइल पीएमओ में ही अटकी रही.
इस बीच कई तरह की चर्चा होती रही. कभी ख़बर आई कि ओपी का नाम कट गया. किसी ने कहा वे राजनाथ सिंह के आदमी हैं. कुछ ने बताया वे सीएम योगी आदित्यनाथ की पहली पसंद नहीं हैं. एक गुट ने दावा किया कि गेस्ट हाउस कांड के समय ओपी लखनऊ के एसएसपी थे. मायावती इस बात को मुद्दा बना कर दलितों के बीच जा सकती हैं इसीलिए अब नये नाम की तलाश हो रही है.
जितने मुंह उतनी बातें. लेकिन 19 जनवरी को सारी बातों पर ब्रेक लग गया. पीएमओ ने यूपी सरकार से ओपी सिंह के लिए फिर से प्रस्ताव भेजने को कहा. पहले वाली चिट्ठी में कुछ तकनीकी कमियां रह गई थीं. घंटे भर में लखनऊ के सीएम ऑफिस से नया प्रस्ताव दिल्ली पहुंच गया. आज केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने ओपी सिंह को लखनऊ भेजे जाने की फाइल पास कर दी.
अब मंगलवार को ओपी सिंह यूपी के नए डीजीपी का चार्ज संभाल लेंगे. वे बिहार के गया जिले के रहने वाले हैं. कानून व्यवस्था को लेकर योगी आदित्यनाथ अपनी पुलिस की पीठ थपथपाते रहे हैं. ओपी सिंह के लिए उनकी उम्मीदों पर खरा उतरना सबसे बड़ी चुनौती होगी.