कोरोना काल में ऑपरेशन समुद्र-सेतु के तहत विदेशों से लिक्विड ऑक्सजीन के कंटनेर और सिलेंडर सहित ऑक्सजीन कंस्नट्रेटर लाने में नौसेना जुटी है. नौसेना की पश्चिमी कमान के फ्लीट कमांडर रियर एडमिरल अजय कोच्चर से एबीपी न्यूज ने खास बातचीत की.


अजय कोच्चर के नेतृत्व में सोमवार को ही नौसेना का आईएनएस कोलकता युद्धपोत कतर और कुवैत से लिक्विड ऑक्सीजन लेकर मंगलौर बंदरगाह पहुंचा है. जिस वक्त आईएनएस कोलकता को कतर और कुवैत से ऑक्सजीन से भरे कंटनेर लाने का आदेश मिला उस वक्त ये युद्धपोत फ्रांस की नौसेना के साथ अरब सागर में युद्धभ्यास कर रहा था. लेकिन आदेश मिलते ही आईएनएस कोलकता ने टर्न-एराउंड किया और मानवीय सहायता में जुट गया.


भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन समुद्र सेतु लॉन्च किया था


आपको बता दें कि 30 अप्रैल को भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन समुद्र सेतु लॉन्च किया था. इस ऑपरेशन के तहत नौसेना के कुल नौ (09) युद्धपोतों को मित्र-देशों से लिक्विड ऑक्सजीन से लेकर खाली क्रायोजैनिक ऑक्सजीन टैंक, सिलेंडर और दूसरा मेडिकल उपकरण लाए जा रहे हैं. अब तक चार युद्धपोत भारत आ चुके हैं.


रियर एडिमरल अजय कोच्चर के मुताबिक सोमवार को समुद्र-सेतु के अंतर्गत तीन युद्धपोत कतर, कुवैत और सिंगापुर से 04 भरे हुए लिक्विड ऑक्सीजन कंटनेर (कुल क्षमता 27 मैट्रिक टन), आठ खाली ऑक्सीजन कंटनेर (क्षमता 20 एमटी), 900 भरे हुए ऑक्सीजन सिलेंडर, 3150 खाली सिलेंडर और 10 हजार रेपिड एंटीजन टेस्टिंग किट सहित काफी मात्रा में दूसरे मेडिकल उपकरण लेकर भारत के अलग-अलग बंदरगाह पहुंचें.


सोमवार को कतर और कुवैत से दो 27 एमटी के भरे हुए ऑक्सीजन कंटनेर लेकर पहुंचा


जिस आईएनएस कोलकता युद्धपोत का नेतृत्व अजय कोच्चर ने किया वो सोमवार को कतर और कुवैत से दो 27 एमटी के भरे हुए ऑक्सीजन कंटनेर, 400 ऑक्सजीन सिंलेंडर, 47 ऑक्सजीन कंस्नट्रैटर लेकर मंगलौर पहुंचा है.


रियर एडमिरल के मुताबिक, नौसेना का मुख्य चार्टर वैसे तो समुद्री-सीमाओं की सुरक्षा और हिंद महासागर में किसी भी चुनौती का सामना करना है, लेकिन इस चार्टर में मानवीय सहायता भी शामिल है. यही वजह है कि जैसे ही देश को ऑक्सजीन की जरूरत हुई, नौसेना के युद्धपोतों को मित्र-देशों से ऑक्सजीन इत्यादि लाने के लिए मोड़ दिया गया.


शांति-काल में नौसेना का मुख्य-चार्टर मिलिट्री-डिप्लोमेसी है


एबीपी न्यूज से बातचीत में रियर एडमिरल ने बताया कि शांति-काल में भी नौसेना का मुख्य-चार्टर मिलिट्री-डिप्लोमेसी है. इसका फायदा ऐसी मुश्किल के समय में आता है जब नौसेना के युद्धपोत मदद के लिए मित्र-देशों के बंदरगाहों पर जाते हैं.


इस सवाल पर कि जब पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर चीन से तनातनी चल रही है तो ऐसे में क्या नौसेना के युद्धपोतों का ऑपरेशन्ल-डिप्लोयमेंट से हटाकर ह्यमूनेटेरियन-अस्सिटेंस में लगाने से समुद्री-सीमाओं की सुरक्षा पर तो असर नहीं पड़ेगा. पश्चिमी कमान के बेड़े के प्रमुख ने कहा कि जितनी तेजी से नौसेना सैन्य-रूप से मानवीय सहायता में जुट जाती है, उतनी ही तेजी से मिलिट्री-रूप में वापस भी आ सकती है.




सिंगापुर से आंध्रा-प्रदेश के विशाखापट्टनम पोर्ट पर आठ खाली क्रायोजैनिक ऑक्सीजन कंटनेर लेकर पहुंचा


रियर एडमिरल ने ये भी बताया की आईएनएस ऐरावत युद्धपोत भी सोमवार की सुबह सिंगापुर से आंध्रा-प्रदेश के विशाखापट्टनम पोर्ट पर आठ खाली क्रायोजैनिक ऑक्सीजन कंटनेर, 3150 खाली सिलेंडर, 500 भरे हुए सिलेंडर और 10 हजार रेपिड एंटीजन टेस्टिंग किट लेकर पहुंच गया है.


आईएनएस त्रिखंड भी फ्रांस की मदद से कतर से दो 27 मैट्रिक टन (एमटी)के भरे हुए ऑक्सीजन कंटनेर लेकर मुंबई पहुंचा है. रियर एडमिरल ने एबीपी न्यूज के माध्यम से देशवासियों को भरोसा दिलाय कि जबतक जरूरत होगी तब तक नौसेना के युद्धपोत लगातार विदेशों से ऑक्सजीन लाने के काम में जुटे रहेंगे.


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