One Nation, One Election: 'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर क्या है पूर्व चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी और ओपी रावत की राय? जानें
One Nation, One Election: वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर पूर्व चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने कहा है कि इसमें कुछ खूबियां हैं और कुछ खामियां भी हैं.
Ex CEC on One Nation, One Election: 'वन नेशन, वन इलेक्शन' को लेकर चल रहीं चर्चाओं के बीच देश के पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) एस वाई कुरैशी और ओपी रावत ने शुक्रवार (1 सितंबर) को अपनी-अपनी राय दी है. वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर पूर्व चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी का कहना है कि पिछले 10 साल से इसकी बात चल रही है. इसमें कुछ खूबियां हैं और कुछ खामियां भी हैं. कहा जाता है कि बार-बार चुनाव कराने से काफी पैसा खर्च होता है और डेवलपमेंट एक्टिविटीज भी प्रभावित होती हैं.
30 जुलाई 2010 से 10 जून 2012 तक निर्वाचन आयोग का नेतृत्व करने वाले एस वाई कुरैशी ने संवैधानिक रूप से यह संभव नहीं है, क्योंकि भारत एक संघीय देश है और राज्यों का संघ है.
वन नेशन, वन इलेक्शन से होगा फायदा
वहीं, इस संबंध में पूर्व चुनाव आयुक्त ओपी रावत का कहना है," इसका एक फायदा यह होगा कि 5 साल तक राजनेताओं और प्रशासन का फोकस जनता के मुद्दों पर रहेगा. यह हमारे प्रजातंत्र के बेहतर होगा. उन्होंने कहा, "यह संभव है और किया जा सकता है. आपको बस एक रोडमैप बनाने और उसके अनुसार काम करने की जरूरत है. सभी राजनीतिक दलों को इस पर एक साथ आना चाहिए, क्योंकि उनके समर्थन के बिना संशोधन संभव नहीं होगा."
पहले भी हो चुका है 'वन नेशन, वन इलेक्शन'
रावत ने याद दिलाया कि जब निर्वाचन आयोग से एक साथ चुनाव के बारे में पूछा गया था तो उसने सरकार को सूचित किया था कि 1952, 1957, 1962, 1967 में भी वन नेशन, वन इलेक्शन हुआ था. उन्होंने बताया, "ऐसा पहले भी हुआ था और अब इसे दोबारा करना संभव है" निर्वाचन आयोग ने बताया था कि इसे फिर से करने के लिए संविधान और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में कुछ संशोधन करने की आवश्यकता है."
रावत ने कहा, "ईवीएम के लिए अधिक धन आवंटित करने और चुनाव के दौरान अर्धसैनिक बलों की तैनाती बढ़ाने की जरूरत है. अगर ये चीजें होती हैं तो एक राष्ट्र, एक चुनाव कराना संभव होगा."
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