आतंकियों के शव परिजनों को न सौंपने के मोदी सरकार के फैसले पर विरोध शुरू
सूत्रों के मुताबिक कश्मीर घाटी में लश्कर, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिद्दीन के टॉप कमांडर के मारे जाने पर उनके शव को परिवार को नहीं सौपा जाएगा.
नई दिल्लीः कश्मीर घाटी में आतंकियों की भर्ती रोकने के लिए मोदी सरकार के एक फैसले पर विवाद खड़ा हो गया है. जम्मू कश्मीर के आईएस चीफ दाऊद सोफी के जनाजे में बेहद हंगामा हुआ. ऐसे जनाजों में भारत विरोध की आग भड़काकर नौजवानों का ब्रेन वॉश कर उन्हें आतंकी बनाया जाता है. आतंकियों की भर्ती रोकने के लिए मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है.
सूत्रों के मुताबिक कश्मीर घाटी में लश्कर, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिद्दीन के टॉप कमांडर के मारे जाने पर उनके शव को परिवार को नहीं सौपा जाएगा. बल्कि ऑपरेशन के दौरान मारे गए आतंकी को अनजान जगह पर दफन किया जाएगा. सरकार को उम्मीद है कि इससे नौजवानों को आतंक के रास्ते पर जाने से रोका जा सकेगा. लेकिन इस फैसले पर भी सियासत शुरू हो गई है. कांग्रेस के नेता ताज मोहिउद्दीन ने इस फैसले का विरोध करते हुए कहा है कि सरकार अगर ऐसा करना चाहती है तो करे लेकिन मेरे ख्याल में इससे कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है.
इसके अलावा नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता अली मोहम्मद सागर का कहना है कि ऐसी कार्रवाई करने से ज्यादा मुनासिब होता कि सरकार कोई ऐसा कदम उठाती जिससे आतंक की रोकथाम के लिए ज्यादा असर पड़ता. ऐसा न हो कि इस तरह की कार्रवाई में सरकार को लेने के देने पड़ जाएं.
जम्मू कश्मीर को लेकर कांग्रेस पहले ही कटघरे में है. उसके नेता सैफुद्दीन सोज आजादी को कश्मीर की पहली पसंद बता चुके हैं. हालांकि सैफुद्दीन सोज से पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद कह चुके हैं कि 4 आतंकी मारने में बीस आम लोग भी मारे जाते हैं. जिससे कांग्रेस बैकफुट पर है. बीजेपी कांग्रेस पर सेना के अपमान का आरोप लगा रही है. सवाल ये है कि क्या कांग्रेस को अपने नेताओं की ऐसी बयानबाजी का खामियाजा 2019 में भुगतना पड़ेगा.
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