विपक्ष की महाबैठक: बीजेपी को हराने के लिए 21 पार्टियां साथ आईं, अखिलेश-माया रहे दूर
मंगलवार को संसद का शीतकालीन का सत्र शुरू हो रहा है. साथ ही पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम भी मंगलवार को जारी होंगे. उससे ठीक पहले इस बैठक के जरिए विपक्ष ने एकजुटता का संदेश देने की कोशिश की है.
नई दिल्लीः अगले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को केंद्र की गद्दी से बेदखल करने के लिए विपक्ष की इक्कीस पार्टियों ने संसद के अंदर और बाहर सामूहिक रणनीति बनाने के लिए दिल्ली में बड़ी बैठक की. तेलगुदेशम पार्टी के अध्यक्ष चन्द्रबाबू नायडू की पहल पर हुई इस बैठक में जहां एक तरफ तकरीबन सभी पार्टियों के प्रमुख नेता शामिल हुए वहीं समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने इससे दूरी बनाए रखी. आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने पहली बार विपक्षी नेताओं की बैठक में शिरकत की. गौरतलब है कि मंगलवार को संसद का शीतकालीन का सत्र शुरू हो रहा है. साथ ही पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम भी मंगलवार को जारी होंगे. उससे ठीक पहले इस बैठक के जरिए विपक्ष ने एकजुटता का संदेश देने की कोशिश की है.
बैठक के दौरान ही आरबीआई गवर्नर के इस्तीफे की खबर आई जिस पर बैठक में भी चर्चा हुई. इस्तीफे के कारण विपक्ष को सरकार पर हमला करने के लिए बड़ा मुद्दा मिल गया. विपक्ष आरोप लगता रहा है कि मोदी सरकार देश की तमाम संस्थाओं में दखलंदाजी और दुरुपयोग कर रही है. बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि "ये सहमति बनी है कि बीजेपी द्वारा सीबीआई, आरबीआई, चुनाव आयोग जैसी संस्थाओं पर हमले को रोकना होगा. संविधान पर हो रहे हमले को रोकना होगा. हमें राफेल और नोटबन्दी जैसे बीजेपी के भ्रष्टाचार को उजागर करना है. सहमति बनी कि साथ काम करके बीजेपी-आरएसएस को हराना है. संसद के बाहर और अंदर इसको लेकर समन्वय होगा और हम साथ काम करेंगे." राहुल ने कहा कि "सरकार द्वारा उठाए कदम देश के लिए खतरनाक हैं. आरबीआई के गवर्नर ने संस्था की रक्षा के लिए इस्तीफा दिया है. मुझे गर्व है कि लोग संस्थाओं पर हो रहे हमलों के खिलाफ खुल कर सामने आ रहे हैं."वहीं, एसपी और बीएसपी की गैरमौजूदगी को लेकर पूछे गए सवाल पर राहुल गांधी ने कहा कि "इस तरह की बैठक एक प्रकिया है. ये प्रकिया सबको साथ ला रही है. खुले और दोस्ताना तरीके से ये हो रहा है. हम सब विपक्ष की आवाज हैं. हम सबका आदर करते हैं. चाहे वो बड़ी पार्टी हो या छोटी. सबका लक्ष्य बीजेपी को हराना और संविधान की रक्षा करना है."
वहीं, चन्द्रबाबू नायडू ने भी कहा कि "ये एक लोकतांत्रिक जरूरत है कि सब साथ आएं. हम देश को बचाना चाहते हैं. हमने इस पर चर्चा की. हमें साथ काम करना है. राहुल गांधी और दूसरे नेताओं के नेतृत्व में हम आगे का कार्यक्रम बना रहे हैं. संसद के अंदर और बाहर की रणनीति बनाई जा रही है. सभी प्रगतिशील पार्टियों को साथ आना चाहिए. दो-तीन पार्टियां जो नहीं आई उनसे भी बात की जा रही है. इस सरकार को हराना जरूरी है."
विपक्ष की बैठक में कांग्रेस की तरफ से अध्यक्ष राहुल गांधी, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत कई नेता मौजूद थे. दूसरे बड़े नामों में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, एनसीपी नेता शरद पवार, जेडीएस नेता एच. डी. देवेगौड़ा, डीएमके नेता स्टालिन, जेएमएम के हेमंत सोरेन, आरएलडी के अजित सिंह, एआईयूडीएफ के बदरुद्दीन अजमल, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला, सीपीएम के सीताराम येचुरी, सीपीआई के डी. राजा शामिल थे.
बैठक के बाद जारी साझा बयान में किसान, रोजगार जैसे मुद्दों से लेकर राफेल सौदे, नोटबन्दी और जीएसटी, शहरों का नाम बदलने को लेकर बीजेपी सरकार पर निशाना साधा गया. ईवीएम को लेकर आशंका जाहिर की गई और महत्वपूर्ण संस्थाओं की स्वायत्तता पर बल दिया गया. बयान की शुरुआत में कहा गया कि आज 'धर्मनिरपेक्ष पार्टियों की बैठक हुई' और अंत में कहा गया कि 'संवैधानिक लोकतंत्र और लोगों के जीवनयापन के हित में यही है कि आरएसएस-बीजेपी सरकार को बाहर का रास्ता दिखाया जाए'.
कुल मिला कर कहें तो अनुमानों के अनुसार ही अगर विधानसभा चुनाव नतीजे कांग्रेस के पक्ष में आए तो विपक्ष का गठजोड़ और मजबूत होगा. विपरीत परिस्थितियों में कांग्रेस के लिए मुश्किलें काफी बढ़ जाएंगी क्योंकि अखिलेश और मायावती अभी से कांग्रेस को आंख दिखा रहे हैं.