Delhi Ordinance: लोकसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने में लगे विपक्षी दलों की अगली बैठक कर्नाटक के बेंगलुरु में कांग्रेस की मेजबानी में 17 और 18 जुलाई को होगी. इसी बीच मीटिंग को लेकर कांग्रेस ने सीएम अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) को आमंत्रण भेजा है. 


निमंत्रण पर आप के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि पटना में हुई विपक्ष दलों की बैठक में कांग्रेस ने कहा था कि मानसून सत्र शुरू होने से 15 दिन पहले हम सार्वजानिक तौर पर दिल्ली के असंवैधानिक अध्यादेश पर अपना रुख साफ कर देंगे, लेकिन अभी तक कांग्रेस ने रुख साफ नहीं किया है.


उन्होंने कहा कि अध्यादेश पर कांग्रेस अपना स्टैंड साफ नहीं करती है तो हमारी पार्टी विपक्ष की बैठक में शामिल होने पर विचार करेगी. 


पटना में क्या हुआ था?
बिहार के पटना में 23 जून को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मेजबानी में हुई विपक्षी दलों की मीटिंग में आप के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल ने दिल्ली के अध्यादेश का मामला उठाया था.


उन्होंने इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे औऱ कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मौजदूगी में कहा था कि अध्यादेश पर कांग्रेस रुख साफ करें. मीटिंग के बाद आप ने बयान जारी कर कहा कि पार्टी कांग्रेस के शामिल होने पर वो किसी भी बैठक का हिस्सा नहीं होगी.  


वहीं कांग्रेस का कहना था कि ये मीटिंग का विषय नहीं है. ये संसद का मामला है. संसद सत्र शुरू होने से पहले बैठक करके हम रुख साफ करेंगे. 






किन नेताओं ने अरविंद केजरीवाल का समर्थन किया?
अध्यादेश के खिलाफ समर्थन करने को लेकर केजरीवाल पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, नीतीश कुमार, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के चीफ शरद पवार, पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव सहित कई नेताओं से मिल चुके हैं. इस दौरान इन सभी नेताओं ने केजरीवाल का समर्थन करते हुए कहा कि ये अध्यादेश संविधान के खिलाफ है. 


दिल्ली का अध्यादेश क्या है?
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली के अफसरों की ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार केजरीवाल सरकार के पास है, लेकिन इसको देखते हुए केंद्र सरकार अध्यादेश ले आई. इसके पीछे बीजेपी ने तर्क दिया कि दिल्ली देश की राजधानी तो ऐसे में ये अध्यादेश जरूरी है.


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