Name Plate Row: उत्तर प्रदेश की मंत्री गुलाब देवी के बैंड-बाजे वालों के लिए नेम प्लेट लगाने वाले बयान पर सियासी पारा चढ़ा हुआ है. इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश सरकार को विपक्षी दल लगातार घेरने में जुटे हैं. इसी क्रम में समाजवादी पार्टी भी योगी सरकार पर हमलावर हो गई है. समाजवादी पार्टी ने इस बयान की आलोचना करते हुए पूछा कि नाम में आखिर दिक्कत क्या है?
समाजवादी पार्टी के नेता उदयवीर सिंह ने कहा, 'अगर किसी गैर धर्म के व्यक्ति को हिंदू धर्म का नाम अच्छा लग रहा है, राम का नाम स्वीकार हो रहा है. कृष्ण का नाम स्वीकार हो रहा है तो इनको इतनी हताशा और निराशा क्यों है. असुरक्षा क्यों है. इनको क्यों लगता है कि इनके भगवान, उनके भगवान हो जाएंगे.'
'इनको तो खुश होना चाहिए'
समाजवादी पार्टी के नेता उदयवीर सिंह ने कहा, 'इनको तो खुश होना चाहिए. अगर ये आस्थावान लोग हैं और सनातन धर्म में विश्वास रखते हैं तो इनको खुश होना चाहिए कि हमारे धर्म में प्रचलित नामों को, हमारे देवी-देवताओं को दूसरे धर्म के लोग स्वीकार कर रहे हैं. सरकार में रहते हुए आप लोग ये जांच तो कर ही रहे हैं न कि कोई गलत काम नहीं कर रहा. भारतीय जनता पार्टी क्यों परेशान है समझ नहीं आता जबकि उन्हें तो खुश होना चाहिए. क्या किसी भी धर्म का व्यक्ति अपने धर्म के प्रचार-प्रसार से दुखी होगा. वही दुखी होंगे जिनके मन काले हैं, सोच गंदी है और जो ये चाहते हैं कि समाज को किसी तरह आपस में लड़ाया जाए. सभी को अपने मन से नाम लिखने का अधिकार है.'
'उपचुनाव के लिए हैं ये सब मुद्दे'
सपा प्रवक्ता आशुतोष वर्मा ने इस मुद्दे पर कहा, 'बीजेपी का नाम पर मुद्दा खड़ा करना, आने वाले उपचुनाव की पटकथा है. हाल ही में एक रिपोर्ट आई है जिसके मुताबिक उत्तर प्रदेश में शिक्षित युवाओं की बेरोजगारी दर सबसे ज्यादा है. यूपी में हर तीसरा युवा बेरोजगार है लेकिन बीजेपी को इस मुद्दे पर बात नहीं करनी है. इन्हें महिला सुरक्षा और महंगाई पर बात नहीं करनी है. इनको तो राम, रहीम और अल्लाह पर बात करनी है. बीजेपी कहीं न कहीं उपचुनाव को लड़ने के लिए माहौल बना रही है जो अब उसकी साख का सवाल बन गया है.'
क्यों हुआ विवाद?
बता दें कि यूपी सरकार की शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने कहा था, 'जो व्यक्ति जो काम करता है वह अपने नाम से नाम रखे. अपने धर्म, मजहब और नाम पर विश्वास नहीं है. इस तरह दूसरों के नामों का सहारा नहीं लेना चाहिए. चंदौसी की बात करें तो यहां अनेक बैंड बाजे वाले हैं. किसी का नाम मंगलम है, किसी का नाम अशोक, गीता या सरोज है. इस तरह से तमाम नाम रखे जा रहे हैं, वो ठीक नहीं है. इसलिए जो व्यक्ति जो काम करता है उसे वहीं नाम रखना चाहिए. अपने नाम पर क्यों उन्हें कमजोरी और आत्मग्लानि महसूस होती है. ये नहीं होनी चाहिए.'
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