राज्यसभा के बाद अब लोकसभा की कार्यवाही का भी विपक्षी दलों ने किया बहिष्कार
राज्यसभा की तरह ही लोकसभा में भी विपक्षी दलों ने पूरे मानसून सत्र का बहिष्कार किया है.
नई दिल्ली: राज्यसभा के बाद अब लोकसभा की कार्यवाही का भी विपक्षी दलों ने बहिष्कार किया है. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ' किसानों के मुद्दे पर हमारी पार्टी (कांग्रेस) और सभी विपक्षी दल लोकसभा की कार्यवाही का बहिष्कार करते हैं.''
बहिष्कार के बाद बैठक सांसदों के बहिष्कार के बाद लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला ने विपक्षी दलों के सांसदों के साथ बैठक की. बैठक में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, एनसीपी नेता सुप्रिया सुले समेत अन्य नेता मौजूद रहे.
इससे पहले लोकसभा में किसानों के मुद्दे पर कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही आरंभ होने के करीब 15 मिनट बाद एक घंटे के लिए स्थगित कर दी गई.
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने सरकार की ओर से रबी की फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी को घोषणा किए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि यह नाम मात्र की बढ़ोतरी है.
उन्होंने कहा कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में एमएसपी और खरीद के मुद्दे पर किसान उत्तेजित हैं और सड़कों पर हैं. चौधरी ने पिछले दिनों संसद से पारित दो कृषि विधेयकों का जिक्र करते हुए कहा कि हमारी पार्टी की मांग है कि एमएसपी को विधेयक में शामिल किया जाए.
उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘किसानों को आप पर भरोसा नहीं.’’तृणमूल कांग्रेस के सदस्य कल्याण बनर्जी ने कहा कि अधीर रंजन चौधरी ने जो बात उठाई है, उनकी पार्टी उसका समर्थन करती है.
इसके बाद कांग्रेस के सदस्य अपने-अपने स्थानों पर खड़े होकर हाथों में तख्तियां और पोस्टर लेकर किसानों के मुद्दे पर नारेबाजी करने लगे.
राज्यसभा में भी विपक्ष ने किया बहिष्कार राज्यसभा में कांग्रेस के नेतृत्व में कई विपक्षी दलों ने सदन से वॉकआउट किया और आठ विपक्षी सदस्यों का निलंबन रद्द किए जाने तक कार्यवाही का बहिष्कार करने का फैसला किया. वहीं सरकार ने कहा कि अमर्यादित आचरण को लेकर निलंबित सदस्यों को पहले माफी मांगनी चाहिए.
कांग्रेस ने सबसे पहले सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया. उसके बाद माकपा, भाकपा, तृणमूल कांग्रेस, राकांपा, सपा, शिवसेना, राजद, द्रमुक, आप आदि दलों के सदस्य भी सदन से बाहर चले गए.
विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद ने आठ निलंबित सदस्यों का निलंबन वापस लेने की मांग की. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार से तीन मांगें हैं. उन्होंने कहा कि सरकार दूसरा विधेयक लेकर आए और यह सुनिश्चित करे कि निजी कंपनियां किसानों की फसलें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम कीमतों पर नहीं खरीदें.
निलंबित सदस्यों में कांगेस के राजीव सातव, सैयद नजीर हुसैन और रिपुन बोरा, तृणमूल के ब्रायन और डोला सेन, माकपा के केके रागेश और इलामारम करीम और आप के संजय सिंह शामिल हैं.
सोमवार को सभी आठ सांसदों को निलंबित कर दिया गया था. इसी के विरोध में ये सांसद धरने पर बैठ गए. रात भर धरना जारी रहा. सुबह राज्यसभा से विपक्ष के वॉकआउट के बाद इन सांसदों ने धरना खत्म किया.
सरकार क्या बोली? संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि सरकार निलंबित सांसदों को सदन से बाहर रखने को लेकर जिद पर नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर वे सदस्य खेद व्यक्त करते हैं तो सरकार इस पर गौर करेगी.