Opposition Parties Meeting: अगले लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार की राजधानी पटना में विपक्षी दलों की अहम रणनीतिक मीटिंग हो रही है. विश्वस्त सूत्रों ने एबीपी न्यूज को बताया है कि 2024 में विपक्षी पार्टियों को एकसाथ लेकर चलने की जिम्मेदारी नीतीश कुमार को सौंपने पर सहमति बनी है. सूत्रों के मुताबिक नीतीश कुमार को विपक्षी एकता का संयोजक बनाया जाएगा.
नीतीश कुमार 8 बार राज्य के सीएम रह चुके हैं और उनके पास एनडीए के साथ गठबंधन में रहने का भी बड़ा अनुभव है, वह केंद्र सरकार में रेल मंत्री भी रह चुके हैं. इसके साथ ही वह सभी विपक्षी दलों के बीच सर्वमान्य, और निर्विवादित चेहरा हैं, जिन पर परिवारवाद और भ्रष्टाचार के कोई आरोप नहीं हैं.
कांग्रेस का साथ मंजूर नहीं!
एक तरफ जहां पर विपक्षी दल पटना में इकट्ठा होकर विपक्षी एकता की बात कर रहे हैं तो वहीं ये ढ़ांचा टूटता हुआ भी नजर आ रहा है. तेलंगाना की बीआरस पार्टी के नेता टी आर रामाराव ने इसी बीच मीडिया से बात की है. उन्होंने कहा, नीतीश अच्छे नेता लेकिन हम कांग्रेस के साथ एक मंच साझा करने में सहज नहीं हैं. उन्होंने कहा, जिस बैठक में कांग्रेस मौजूद है हम उस बैठक को स्वीकार नहीं कर सकते हैं. जिस बैठक मे कांग्रेस है हम वहां पर नही रह सकते हैं.
टी आर रामाराव ने कहा, कांग्रेस ने देश में पचास साल तक राज किया और देश की क्या हालत है उसके लिए वो भी जिम्मेदार है. उन्होंने कहा, हम कांग्रेस और बीजेपी के साथ किसी तरह भी नहीं जा सकते हैं. बीआरएस ने कहा, कांग्रेस के बिना कोई तीसरा मोर्चा बनता है तो हम उसमें हिस्सा लेंगे लेकिन कांग्रेस का साथ मंजूर नहीं है.
अरविंद केजरीवाल भी दे चुके हैं अल्टीमेटम!
पटना में हो रही इस मीटिंग में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल भी मौजूद हैं, उनके साथ पंजाब के सीएम भगवंत मान समेत अन्य नेता भी मौजूद हैं. इस मीटिंग में शामिल होने से पहले अरविंद केजरीवाल ने पत्र लिखकर मौजूदा सरकार को एक अल्टीमेटम दिया था.
इसमें उन्होंने कहा था कि वह इस मीटिंग में तभी शामिल होंगे जब उनको इस बात की पुष्टी हो जाए कि कांग्रेस दिल्ली में केंद्र सरकार के लाए गए अध्यादेश को रद्द करने में उसकी मदद करेगी. उनकी इस शर्त पर शुक्रवार ( 23 जून) को दिल्ली में पटना निकलने से पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी. इसमें खरगे ने कहा था कि अध्यादेश सदन में आएगा, और सदन की बातें सदन में की जाती हैं. हम इस मामले पर सदन में अपनी प्रतिक्रिया देंगे, वो (केजरीवाल) बाहर इसका इतना प्रचार क्यों कर रहे हैं.