Opposition Meeting: मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष अब एकजुट हो रहा है, 23 जून को हुई पहली बैठक के बाद अब विपक्षी दलों की दूसरी और बड़ी बैठक बेंगलुरु में हो रही है. जिसमें करीब 26 विपक्षी दल शामिल हैं. वहीं बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए ने भी 2024 चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं. 18 जुलाई को दिल्ली में एनडीए की बैठक बुलाई गई है, जिसमें तमाम सहयोगी दलों को न्योता भेजा गया है. अब सवाल ये है कि विपक्षी एकता की पहल के बाद क्या-क्या बदला और एनडीए-महागठबंधन में कौन ज्यादा मजबूत नजर आ रहा है. आइए समझते हैं कि पिछले कुछ दिनों में किसकी ताकत कितनी बढ़ी और किसे क्या नुकसान हुआ. 


विपक्षी ताकत में हुआ इजाफा
सबसे पहले विपक्षी एकजुटता यानी महागठबंधन की बात करते हैं. 23 जून को विपक्षी एकता की पहली बैठक बुलाई गई थी. जिसमें कुछ दल साथ आने से हिचकिचा रहे थे. अब दूसरी बैठक में विपक्ष की ताकत में इजाफा देखा जा सकता है. इस बैठक के लिए 10 नए दलों को न्योता दिया गया, जिसके बाद 10 नए दल विपक्ष के साथ जुड़ गए. आम आदमी पार्टी बेंगलुरु की बैठक में शामिल हो चुकी है, वहीं आरएलडी के जयंत चौधरी भी अब विपक्ष की इस बैठक का हिस्सा हैं. 


विपक्ष को क्या नुकसान?
अब अगर विपक्ष को हुए नुकसान की बात करें तो सबसे बड़ा नुकसान शरद पवार की एनसीपी को हुआ. महाराष्ट्र में अजित पवार ने एनसीपी को तोड़ दिया और एनडीए में शामिल हो गए. इसे विपक्षी एकता पर एक जोरदार झटका माना गया. वहीं कर्नाटक की क्षेत्रीय पार्टी जेडीएस ने भी नाराजगी जताते हुए कहा है कि विपक्ष ने उन्हें कभी अपना नहीं माना. उधर समाजवादी पार्टी के नेता दारा सिंह चौहान ने भी पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया. 


एनडीए की कितनी बढ़ी ताकत?
अब बात बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए की कर लेते हैं. जो केंद्र की सत्ता में काबिज है. विपक्षी दलों की तरह एनडीए ने भी तैयारी शुरू कर दी है और बैठक बुलाई गई है. ताकत की बात करें तो चिराग पासवान एनडीए में आ गए हैं, हालांकि सीट शेयरिंग को लेकर अभी बात नहीं बनी है. वहीं SBSP एनडीए का हिस्सा बन गई है. सपा के दारा सिंह चौहान बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. इसके अलावा जीतनराम मांझी को एनडीए की बैठक में न्योता दिया गया है. उधर महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के बाद अजित पवार ने दूसरी सबसे मजबूत पार्टी को दो हिस्सों में तोड़ दिया है और बीजेपी का हाथ पकड़े खड़े हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि भी एनडीए में शामिल हुए हैं. 


इन दलों ने बनाई एनडीए से दूरी
अब एनडीए को होने वाले नुकसान की बात करें तो सहयोगी दल AIADMK ने यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध किया है. उधर वीआईपी के मुकेश सहनी बीजेपी के साथ नहीं जाना चाहते, अकाली दल ने भी कह दिया है कि एनडीए की बैठक में शामिल नहीं होगी. उधर उपेंद्र कुशवाहा भी एनडीए की बैठक में नहीं आ रहे हैं. 


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