नई दिल्ली: संसद का बजट सत्र इस बार काफी हंगामेदार रहने वाला है. मोदी सरकार के सामने इस बार जहां आर्थिक व्यवस्था को पटरी पर लाने की चुनौती होगी वहीं विपक्षी पार्टियां सरकार को नागरिकता संशोधन कानून के मसले पर घेरेगी. विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार को आर्थिक मोर्चे पर भी घेरेगी. गौरतलब है कि संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होने वाला है.


संसद सत्र में सबसे अधिक नागरिकता कानून के मसले पर हंगामा मच सकता है. कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियां लगातार इसका विरोध कर रही है. दिल्ली के शाहीन बाग में 40 दिनों से इस कानून के विरोध में प्रदर्शन हो रहा है. ऐसे में विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार को इस मसले पर घेरने की रणनीति बना सकती हैं. एबीपी न्यूज़ को सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक विपक्षी पार्टियां सीएए कानून को सरकार से वापस लेने की भी मांग कर सकती है. बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दे पर विपक्षी पार्टियां सरकार से कड़े सवाल पूछ सकती हैं


नागरिकता कानून के साथ कांग्रेस सहित टीएमसी, बीएसपी, एसपी और डीएमके जैसी पार्टियां एनआरसी के मुद्दे पर भी सरकार से सवाल करेगी. विपक्षी पार्टियों का एनआरसी के मुद्दे पर आरोप है कि सरकार भले ही एनआरसी को लागू करने से इंकार कर रही है लेकिन उसकी मंशा सीएए के साथ एनआरसी को भी जल्द से जल्द लागू करने की है.


विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार जानबूझकर दिल्ली के शाहीन बाग में हो रहे प्रदर्शन को शांत करने की कोशिश नहीं कर रही है. लोकसभा में कांग्रेस के नेता ने आज इस मसले पर प्रधानमंत्री मोदी पर प्रहार किया. उन्होंने कहा कि ट्रिपल तलाक के मसले पर मुस्लिम महिलाओं के लिए रोने वाले पीएम मोदी अब शाहीन बाग में बैठी महिलाओं से मिलने क्यों नहीं जाते हैं.


इससे पहले यूपी में नागरिकता कानून के विरोध के दौरान जान गंवाने वाले लोगों के मामले की मानवाधिकार आयोग से जांच की मांग कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने की. वह मानवाधिकार आयोग के दफ्तर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के साथ पहुंची थीं.