अडानी मुद्दे पर कांग्रेस को फिर नहीं मिला सपा-TMC का साथ, रेणुका चौधरी के 'नालायक' बयान पर मचा बवाल
Winter Session: अडानी मामले को लेकर विपक्ष ने लोकसभा से वॉकआउट किया और संसद परिसर में प्रदर्शन किया जिसमें राहुल और प्रियंका गांधी शामिल हुए, जबकि सपा और तृणमूल ने दूरी बनाई.
Parliament Winter Session 2024: मंगलवार यानी आज संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान अडानी मामले को लेकर विपक्षी दलों में एक बार फिर हंगामा देखने को मिला. विपक्ष ने लोकसभा से वॉकआउट कर दिया और संसद परिसर में प्रोटेस्ट किया. इस प्रोटेस्ट में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी शामिल हुए, लेकिन समाजवादी पार्टी (सपा) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने इस विरोध से दूरी बना ली.
विपक्षी सांसदों के हाथों में 'मोदी-अडानी एक हैं' और 'अडानी पर भारत को जवाबदेही चाहिए' जैसे बैनर और प्लेकॉर्ड नजर आए. कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि वे मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ विरोध कर रहे हैं. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक सदन में चर्चा का अवसर नहीं मिलता तब तक संसद परिसर में विरोध जारी रहेगा.
तृणमूल और सपा ने किया किनारा
इस विरोध प्रदर्शन से एक बात साफ हो गई कि विपक्षी दलों में एकता नहीं दिख रही. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी अडानी मामले पर जोर दे रहे हैं जबकि समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस ने अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की आवश्यकता जताई है. इन दलों का कहना है कि संसद में महंगाई, बेरोजगारी, किसानों के मुद्दे और मणिपुर जैसी समस्याओं पर भी चर्चा होनी चाहिए.
संभल हिंसा पर भी चर्चा की मांग
समाजवादी पार्टी ने लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात कर संभल हिंसा पर चर्चा की मांग की है. सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि अडानी का मुद्दा उतना बड़ा नहीं है जितना किसानों और संभल हिंसा का मामला. उनका मानना है कि विपक्ष के अन्य दलों को भी इन मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए.
कांग्रेस और सपा के बीच मतभेद
कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता अडानी मामले पर चर्चा करना है जबकि समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस चाहते हैं कि अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हो. इन दोनों दलों का मानना है कि संसद में महंगाई, बेरोजगारी, किसानों की समस्याएं और मणिपुर जैसे मुद्दे प्रमुखता से उठने चाहिए.
रेणुका चौधरी के बयान पर विवाद
कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी के बयान पर भी विवाद हो गया. उन्होंने कहा कि यदि सरकार सदन चलाना चाहती है तो उसे जिम्मेदारी निभानी चाहिए और यदि वे नहीं चाहती तो इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी. चौधरी ने आगे यह भी कहा कि अगर सरकार नालायक है तो वह सदन नहीं चला पाएगी. ऐसे में अब इस बयान से सत्ता पक्ष के साथ विपक्ष के बीच तकरार बढ़ने की संभावना है.
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