नई दिल्ली: गुजरात के राज्य सभा चुनाव में नोटा के इस्तेमाल को लेकर आज राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ. कांग्रेस उम्मीदवार और पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल और उनकी पार्टी के तमाम नेताओं ने सवाल उठाया है. अहमद पटेल ने ट्वीट किया, ''पहले राज्यसभा चुनाव को आगे बढ़ाया गया, दूसरा नोटिफिकेशन आने से पहले नोटा को मंजूरी दी गयी, वजह क्या है ये चुनाव आयोग को ही पता है.''
इस पर सरकार का कहना है कि चुनाव कराने का अधिकार चुनाव आयोग का है. कांग्रेस ने चुनाव आयोग को भी अपनी आपत्ति से अवगत कराया है, चुनाव आयोग जल्द ही इसपर अपना जवाब देगा.
क्यों है कांग्रेस को आपत्ति?
सूत्रों के मुताबिक एक के बाद एक गुजरात कांग्रेस के विधायकों के इस्तीफों से परेशान कांग्रेस अपने 44 विधायकों को बेंगलूरु तो ले गयी लेकिन पार्टी को लगता है कि नोटा का विकल्प इसीलिए दिया जा रहा है ताकि जो विधायक टूट नहीं सके वो आखिरकार इस तरह से कांग्रेस नेता अहमद पटेल के पक्ष में वोट ना डालें, कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक बीजेपी ये साजिश अहमद पटेल को हराने के लिए कर रही है, कांग्रेस इस मामले को लेकर चुनाव आयोग भी गई.
सरकार ने आरोपों पर क्या जवाब दिया?
गुजरात राज्यसभा के चुनाव राष्ट्रपति चुनाव से पहले होने थे, लेकिन इसे उस वक्त स्थगित कर आठ अगस्त को कर दिया गया. बीजेपी के ऊपर लग रहे इन आरोपों का राज्यसभा में नेता सदन अरूण जेटली ने जवाब दिया.
अरुण जेटली ने कहा, ''सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला था जो नोटा विकल्प देने के संदर्भ में था. फैसला इस सरकार के आने के कई साल पहले ही आ गया था. चुनाव आयोग ने ये नोटिफिकेशन उसी को ध्यान में रखते हुए आर्टिकल 324 के तहत दिया है.''
क्यों मचा है बवाल?
दरअसल चुनाव आयोग ने गुजरात राज्यसभा चुनाव में नोटा का इस्तेमाल करने का आदेश दिया है. नोटा का मतलब होता है नन ऑफ द एबव यानी विधायको को इनमें से कोई नहीं चुनने का विकल्प होगा.
2013 में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को चुनाव में नोटा के इस्तेमाल का आदेश दिया था, इसके बाद यूपी, हरियाणा और त्रिपुरा के अलावा तमाम राज्यों जहां वोटिंग की आवश्यकता पड़ी वहां राज्य सभा चुनाव के दौरान नोटा का इस्तेमाल हुआ था. दरअसल राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव का छोड़के नोटा का ऑप्शन सभी चुनावों में होता है.