नई दिल्ली: सोमवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र से पहले सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई तो विपक्ष ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और श्रीनगर सांसद डॉ फारूख अब्दुल्ला की रिहाई का मामला भी उठाया. हालांकि अभी सरकार की तरफ से कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया गया कि सदन की बैठक में शरीक होने के लिए डॉ अब्दुल्ला को आने दिया जाएगा.


जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि डॉ फारूख अब्दुल्ला साहब को बिना किसी केस के नजरबंद रखा हुआ है. सत्र आ रहा है. हमने सरकार से मांग की है कि उन्हें सदन की बैठक में भाग लेने की इजाजत मिलनी चाहिए. विपक्ष इस मांग को सदन में भी उठाएगा. हालांकि इस मांग पर सरकार की तरफ से मिले किसी आश्वासन के बारे में पूछे जाने पर आजाद ने तंज के साथ कहा कि यहां सरकार में जवाब कौन देता है.


इस बीच लोकसभा में नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद हसनैन मसूदी ने सर्वदलीय बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में कहा की तीन महीने से ज्यादा हो गए हैं. डॉ अब्दुल्ला को रिहा किया जाना चहिए. संसद सत्र के दौरान श्रीनगर की जनता को भी आपने निर्वाचित प्रतिनिधि के जरिए बात रखने का मौका मिलना चाहिए. मसूदी ने इस बात की भी मांग उठाई कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले पर संसद के पिछले सत्र में ठीक से बात नहीं हो पाई थी. लिहाजा इसपर एक बार व्यापक चर्चा करने की जरूरत है.


सर्वदलीय बैठक में शिवसेना नेता, पीएम मोदी और अमित शाह के बीच कुछ इस तरह हुई बातचीत कि अब ये चर्चा होने लगी है?


प्रधानमंत्री की अगुवाई में हुई सर्वदलीय बैठक में फारुख अब्दुल्ला के साथ साथ कांग्रेस ने पूर्व गृह मंत्री पी चिदम्बरम को भी सदन की बैठक में शामिल होने के लिए रिहा करने की मांग की. आजाद ने कहा कि इससे पहले भी कई सांसदों को विचाराधीन मामलों की स्थिति में सदन कर बैठक में भाग लेने का मौका दिया जाता रहा है. लिहाजा पी चिदम्बरम को भी इसकी अनुमति मिलनी चाहिए.


फारुख अब्दुल्ला और चरिहाई को लेकर विपक्ष की दलीलों के बारे में पूछे जाने पर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इतना ही कहा कि इस बारे में कानून सम्मत तरीके से जो भी आवश्यक होगा किया जाएगा. इस तरह की बैठकें होती रहती हैं. हर बार बातें होती हैं. लेकिन सदन की बैठकों में यह नजर नहीं आता. जब भी बेकारी, बेरोजगारी, किसानों की हालत, महंगाई, कश्मीर का मुद्दा हम उठाना चाहते है, चर्चा करना चाहते हैं तो सरकार इनकार कर देती है. हमने दोहराया है कि इन सभी मुद्दों पर हम बात करना चाहते हैं. हम विधेयक पारित करना चाहते हैं. लेकिन स्टैंडिंग कमेटी से पास कराए बिना पारित करना ठीक नहीं. हमने सरकार को इस बारे में ध्यान देने को कहा है. इसी तरह पी चिदम्बरम को भी बंद रखा गया है. इससे पहले भी कई बार ऐसे मौके आए हैं जब विचाराधीन मामलों के दौरान सांसदों को सदन में शरीक होने का मौका दिया गया है.