साझा रणनीति के अभाव में बिखरा विपक्ष, तीन तलाक पर कुछ इस तरह से राज्यसभा में सरकार ने जीती जंग
नई सरकार बनने के बाद सरकार पहले ही सत्र में ये बिल ले आई और आज उसे ये ऐतिहासिक सफलता मिली. बीजेडी ने लोकसभा में ही सरकार के इस बिल पर समर्थन कर दिया था, वो राज्यसभा में भी बरकरार रहा.
नई दिल्ली: तीन तलाक बिल को राज्यसभा से पास करवा कर बीजेपी ने इतिहास रच दिया है. तीन तलाक बिल सरकार के लिए नाक का सवाल बना हुआ था. सत्ता पक्ष जहां इस बिल को पास कराने में पूरी ताकत से जुटा था, तो विपक्ष साझा रणनीति के अभाव में बिखरा हुआ नज़र आया. सूचना अधिकार बिल को राज्यसभा से पास करवाने वाली बीजेपी आज आत्मविश्वास से भरी हुई थी. इसके बाद जो हुआ, वो हमेशा के लिए इतिहास में दर्ज हो गया.
सरकार को पहले से ये अंदेशा था कि जेडीयू और एआईएडीएमके उसके सहयोगी होने के बावजूद इस बिल के विरोध में रहेंगे. लेकिन इन दोनों दलों ने वोटिंग शुरू होने से पहले ही वाक-आउट करने का ऐलान कर अपरोक्ष रूप से सरकार की मदद कर दी. सरकार के फ्लोर मैनेजर लगातार बिल के विरोध में खड़ी बाकी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के भी संपर्क में थे. बीजेपी के अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह पूरे दिन संसद में रहे. बीच-बीच में वो संसद भवन के अपने कमरे और राज्यसभा के भीतर आते जाते रहे.
बीजेडी ने लोकसभा में ही सरकार के इस बिल पर समर्थन कर दिया था, वो राज्यसभा में भी बरकरार रहा. टीआरएस के छह सांसदों, टीडीपी के दो और बीएसपी के चार सांसदों ने वोटिंग का बहिष्कार कर सरकार का काम आसान कर दिया. इसके बाद बची हुई कसर विपक्ष के कई और अनुपस्थित सांसदों ने पूरी कर दी. कांग्रेस के 48 में से तीन सांसद अलग-अलग वजहों से मौजूद नहीं थे, तो चौथे संजय सिंह ने आज सुबह ही इस्तीफा देकर कांग्रेस का दामन छोड़ दिया था. टीएमसी के भी दो सांसद सदन में नहीं थे. एनसीपी के कुल चार सांसद हैं, लेकिन शरद पवार और प्रफ्फुल पटेल सदन में नहीं थे. समाजवादी पार्टी के यूं तो कुल बारह सांसद हैं, लेकिन इनमें से एक अमर सिंह अलग हो चुके हैं, दूसरे नीरज शेखर इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम चुके हैं और तीसरे बेनी प्रसाद वर्मा अस्वस्थ हैं. आरजेडी के राम जेठमलानी अस्वस्थता के कारण नहीं थे, तो मीसा भारती भी सदन से गायब थीं.
तीन तलाक पर साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. अगस्त 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया. इसके बाद सरकार ने इस संबंध मे कानून बनाने की पहल की. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में सरकार ने लोकसभा से इस बिल को पास करवा लिया था, लेकिन राज्यसभा में विपक्ष का बहुमत होने के कारण इसे पास नहीं करवा सकी. नई सरकार बनने के बाद सरकार पहले ही सत्र में ये बिल ले आई और आज उसे ये ऐतिहासिक सफलता मिली.
बिल पर बहस होने के समय पक्ष और विपक्ष के वोट लगभग बराबर नजर आ रहे थे. लेकिन ये बीजेपी के फ्लोर मैनेजमेंट का कमाल था कि बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने के पक्ष में सिर्फ 84 और विरोध में 100 वोट पड़े थे. वहीं बिल के समर्थन में 99 वोट लेकर सरकार को जीत हासिल हुई और विपक्ष को सिर्फ 84 वोट ही मिल सके. इस तरह सरकार को ऐतिहासिक जीत मिली.
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