नई दिल्ली: राष्ट्रपति पद के लिए कल मीरा कुमार अपना नामांकन-पत्र दाखिल करेंगी. विपक्षी दलों की संयुक्त उम्मीदवार मीरा कुमार ने आज हैरानी जताते हुए कहा कि आखिर, राष्ट्रपति चुनाव में जाति को क्यों मुद्दा बनाया जा रहा है. उन्होंने निराशा जताते हुए कहा कि पहली बार देश के सर्वोच्च कार्यालय के लिए जाति को मुद्दा बनाया जा रहा है.

राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार ने आज एक प्रेस कांफ्रेन्स को संबोधित किया. पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि वह सामाजिक न्याय के मूल्यों, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जाति व्यवस्था के उन्मूलन के लिए लड़ेंगी. ह कल 28 जून को अपना पर्चा दाखिल करेंगी जो राष्ट्रपति चुनाव के नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख ही है.

उन्होंने कहा कि उच्च जाति वर्ग से ताल्लुक रखने वाले दो नेताओं के बीच भी पहले राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हो चुका है, लेकिन उनकी जाति पर चर्चा नहीं की गई. इस बार जब दो दलित एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं, तो इसे लेकर हर जगह बहुत चर्चाएं हो रही हैं. मेरा मानना है कि जाति को दफना दिया जाना चाहिए और इसे पूरी तरह से भुला दिया जाना चाहिए.

मीरा कुमार ने कहा, "लोकतांत्रिक मूल्य, सामाजिक न्याय, पारदर्शिता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, समावेशीकरण, जाति प्रथा की समाप्ति, गरीबी का उन्मूलन उस विचारधारा का हिस्सा हैं, जो मेरे दिल के करीब है. इसी वजह से मैं इस विचारधारा को साथ लेकर प्रतिस्पर्धा करूंगी."

मीरा कुमार ने खुद को राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के तौर पर चुने जाने के लिए 17 विपक्षी राजनीतिक दलों का आभार जताया. कुमार ने कहा कि उन्होंने दो दिन पहले लिखे पत्र में निर्वाचक मंडल के सभी सदस्यों से अपने लिए समर्थन मांगा है.

इससे पहले मीरा कुमार ने रविवार को सांसदों और विधायकों से भी भावुक अपील करते हुए कहा था कि वे राष्ट्रपति चुनाव में अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर वोट डालें. उन्होंने यह भी कहा कि संकीर्ण राजनीतिक हितों के लिए राष्ट्रपति के पद का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.