Raaj Ki Baat: जनता के सामने आ सकता है पेट्रोल का विकल्प, पर्यावरण के लिए भी हो सकता है वरदान
Raaj Ki Baat: राज की बात ये है कि भारत में इलेक्ट्रिक कारों का बाजार तो बढ़ ही रहा है, लेकिन अगले तीन से चार माह में पर्यावरण के लिहाज से बेहतर फ्लेक्सी टैंक वाली कारें भी उतरने जा रही हैं.
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Raaj Ki Baat: पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों पर सरकार लगातार विपक्ष के निशाने पर है. आम आदमी भी ईंधन के दामों में लगी आग की तपिश से झुलस रहा है. चौतरफा दबाव के बावजूद केंद्र सरकार ईंधन के दाम तो कम नहीं कर रही है, लेकिन इस साल के अंत तक विपक्ष का तो पता नहीं, लेकिन जनता के सामने पेट्रोल का विकल्प जरूर आ सकता है. ये विकल्प भी ऐसा है जो पेट्रोल-डीजल के दामों से राहत दिलाने वाला होगा, साथ ही पर्यावरण के लिए वरदान भी.
तो राज की बात ये है कि भूतल परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के अनुरोध और सरकारी सुविधाओं के बाद भारत की जरूरतों के मुताबिक फ्लेक्सी टैंक वाली कारें तीन कंपनियां लेकर आ रही हैं. से फ़्लेक्सी टैंक वाले वाहन लाँच करने की तैयारी कर रही है. फ़्लेक्सी टैंक मायने वाहन पेट्रोल-डीज़ल के साथ-साथ दूसरा टैंक बायो डीज़ल यानी जैविक ईंधन का होगा. चालक के पास दोनों विकल्प होंगे कि वो परंपरागत ईंधन के साथ-साथ जब चाहे तो जैविक ईंधन से भी वाहन चला सके.
ऐसे में जब ईंधन के दाम पर आग लगी है और किसान सड़कों पर बैठे हैं तो उस लिहाज से फ्लेक्सी टैंक वाली तकनीक भारत जैसे देश के लिए बेहद अहम है. दरअसल, फ्लेक्सी टैंक वाले वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिए भारत में वाहन बना रही आटोमोबाइल कंपनियों से इस बाबत विमर्श के कई दौर चल चुके हैं. वे भी अपनी कुछ व्यवहारिक दिक्कतों का समाधान किए जाने के बाद फ्लेक्सी टैंक वाली गाड़ियाँ बाज़ार में लाँच करने के लिए तैयार हुए हैं. तेल कंपनियां इस बात का हिसाब-किताब लगा रही हैं कि देश में मौजूद अतिरिक्त अनाज से कितना जैविक ईंधन तैयार किया सकता है और कितनी खपत होगी.
समझने की बात ये है कि भारतीय खाद्य निगम के गोदामों में ख़ासा अनाज सड़ जाता है. अनाज मंडियों की भी हालत अलहदा नहीं. उदाहरण के लिए देश में 281 लाख मीट्रिक टन चावल हर साल अतिरिक्त पैदा होता है. विदेशों में उसका निर्यात हो नहीं पाता. इसी तरह देश में बहुत बड़ी मात्रा में अनाज की बर्बादी होती है. सरकार को आर्थिक घाटा होता है,लेकिन किसान तो मेहनत के बाद भी अपनी उपज को सड़ते हुए देखने को मजबूर होता है. इस सडांध में उसका परिश्रम, भविष्य और सपने भी दम तोड़ देते हैं.
इस लिहाज़ से बायोड़ीजल या जैविक ईंधन के उपयोग के सफल होने और बढ़ने का सबसे ज्यादा फ़ायदा किसानों को हो सकता है. खास बात है कि जैसे सीएनजी सस्ती और पर्यावरण के लिए ठीक है, एलनजी यानी लिक्विड नेचुरल गैस उससे भी बेहतर परिणाम देने वाली है. नागपुर में नितिन गडकरी की पहल पर अभी ऐसा एक ही पेट्रोल पंप लगा है. केंद्र सरकार इस ईंधन के विस्तार के लिए लगातार कंपनियों से बात कर रही है. एलएनजी की खासियत ये है कि ये बड़े चार पहिया वाहनों कई टायर वाले ट्रकों के लिए भी मुफीद है और इसमें सीएनजी की तुलना में ज्यादा दूर तक सफर किया जा सकता है. पर्यावरण और देश की आर्थिक सेहत के लिए तो खैर यह बेहतर है ही.
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