Delhi Riot 2020: दिल्ली दंगों के मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने आम आदमी पार्टी (AAP) के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन और उनके बाकी साथियों खिलाफ आईपीसी की धारा 302, 307, 147, 148 और 153 A,120B के तहत आरोप तय किए हैं. एडिशनल सेशन जज पुलस्त्य प्रमाचला ने अपने आदेश में कहा है कि ताहिर हुसैन के घर पर इकट्ठा हुई हथियारबंद भीड़ का मकसद हिन्दुओं को टारगेट कर मारना और उनकी सम्पति को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाना था.
कोर्ट ने कहा कि इसी मकसद से ताहिर हुसैन के घर हथियारबंद भीड़ इकट्ठा हुई, पेट्रोल बम लाए गए किए गए, इसके अलावा भीड़ एक दूसरे को हिंदुओं को टारगेट करने के लिए उकसा भी रही थी. कोर्ट ने कहा कि जाहिर है ऐसी सूरत में सभी आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश के तहत मुकदमा चलना चाहिए.
बाकी और कौन लोग थे शामिल
बता दें कि अदालत ने ताहिर हुसैन के अलावा, तनवीर मलिक, गुलफाम, नाजिम, कासिम और शाह आलम के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया है. अदालत ने यह फैसला अजय झा के द्वारा दर्ज कराए गए एक मामले की सुनवाई करते हुए दिया है. उन पर 25 फरवरी, 2020 को चांद बाग के पास एक भीड़ द्वारा कथित रूप से गोली चलाई गई थी.
कौन- कौन से धाराएं लगीं हैं
कौन- कौन से धाराएं लगीं हैं
जस्टिस पुलस्त्य प्रमाचला ने 13 अक्टूबर को अपने आदेश में कहा, ‘‘मुझे लगता है कि सभी आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी, धारा 147, 148, 153 ए और 302 के तहत दंडनीय अपराधों के तहत मामला चलाया जाना चाहिए.’’ जस्टिस पुलस्त्य प्रमाचला ने सभी आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 149 और 307 के तहत आरोप तय करने का भी आदेश दिया है.
वकील ने क्या कहा
वकील ने क्या कहा
विशेष वकील मधुकर पांडे ने स्पष्ट रूप से कहा है कि मूल अपराध हत्या के प्रयास के आरोप के लिए तय किया गया. पांडे ने कहा कि चूंकि साजिश हत्या की थी, इसलिए आपराधिक साजिश और हत्या एवं अन्य आरोप तय किए गए हैं. अदालत ने कहा कि गुलफाम और तनवीर के खिलाफ हथियार कानून के तहत मुकदमा चलाने योग्य है.
हिंदुओं को नुकसान पहुंचाने की थी मंशा
हिंदुओं को नुकसान पहुंचाने की थी मंशा
अदालत ने कहा है कि ‘‘विभिन्न गवाहों के बयानों से यह पता चलता है कि सभी आरोपी उस भीड़ का हिस्सा थे जो हिंदुओं और हिंदुओं के घरों पर लगातार गोलियां चलाने, पथराव और पेट्रोल बम चलाने में शामिल थी. इसके अलावा भीड़ के इन कारणों से यह स्पष्ट होता है कि उनका मकसद हिंदुओं को उनके शरीर और संपत्ति पर ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाना था.’’
436 और 505 धारा से किया मुक्त
436 और 505 धारा से किया मुक्त
अदालत ने कहा कि गवाहों के बयानों ने यह भी स्पष्ट हुआ कि भीड़ द्वारा अंधाधुंध और निशाना लगाकर गोलीबारी में शिकायतकर्ता सहित कई लोग गोली लगने से घायल हो गए. कोर्ट ने कहा कि मामले में एक पहचान परेड (टीआईपी) की आवश्यकता नहीं थी क्योंकि गवाह आरोपी को जानते हैं. वीडियो नहीं होना और वास्तविक हथियार की गैर-बरामदगी, अभियोजन पक्ष के मामले को अविश्वसनीय नहीं बनाती है. हालांकि, न्यायाधीश ने उन्हें आईपीसी की धारा 436 और 505 के तहत अपराधों से मुक्त कर दिया है.
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