नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र के आवास पर चली ढाई घंटे की कैबिनेट मीटिंग के बाद मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. 12 साल से कम उम्र के बच्चों के दुष्कर्म के आरोपियों को फांसी के लिए पॉक्सो एक्ट में बदलाव किया जाएगा. सरकार इसके लिए अध्यादेश लेकर आएगी.


कबिनेट ने इस अध्यादेश पर मुहर लगा दी है. इस अध्यादेश में ऐसे मामलों में फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने की व्यवस्था की जाएगी. फॉरेंसिक जांच के जरिए सबूतों को जुटाने की व्यवस्था को और मजबूत करने की व्यवस्था भी की जाएगी. हालांकि जिस दिन अध्यादेश पास होगा उसके बाद के मामलों में ही कानून लागू होगा. यानी कठुआ गैंगरेप, सूरत और इंदौर जैसे मामलों में यह कानून लागू नहीं होगा.


10 महीने में केस खत्म करना होगा
मोदी कबिनेट के अध्यादेश में रेप के खिलाफ कानून सख्त करने को लेकर फैसले हुए. अध्यादेश के मुताबिक फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाना होगा. दो महीने में ट्रायल पूरा करना होगा. यदि अपील दायर होती है तो 6 महीने में निपटारा करना होगा. नाबालिग के साथ बलात्कार के केस को कुल 10 महीने में खत्म करना होगा.


सरकार को अध्यादेश क्यों लाना पड़ा?
उन्नाव और कठुआ में नाबालिग से रेप के बाद देश में काफी विरोध का माहौल है, सूरत में 11 साल की बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या की गई. आज इंदौर से खबर आई कि रिश्तेदार ने ही 8 महीने की बच्ची के साथ दुष्कर्म किया और हत्या कर दी.


अभी पॉक्सो एक्ट में क्या प्रावधान है?
पॉक्सो कानून के आज के प्रावधानों के अनुसार इस जघन्य अपराध के लिए अधिकतम सजा उम्रकैद है, न्यूनतम सजा सात साल की जेल है. दिसंबर 2012 के निर्भया मामले के बाद जब कानूनों में संशोधन किये गये.


इसमें बलात्कार के बाद महिला की मृत्यु हो जाने या उसके मृतप्राय होने के मामले में एक अध्यादेश के माध्यम से मौत की सजा का प्रावधान शामिल किया गया जो बाद में आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम बन गया.