Organ Donation: कर्नाटक में एक परिवार ने अपनी बच्ची के अंगदान करके कई लोगों को नया जीवन दिया है. दरअसल, 14 साल की बच्ची कृति घर की छत पर अपने भाइयों के साथ खेलते हुए चौथी मंजिल से गिर गई. परिवार वाले उसे नजदीकी अस्पताल ले गए, जहां उसे आईसीयू में शिफ्ट कराना पड़ा. 28 मई को बीजीएस ग्लेनेगल्स ग्लोबल अस्पताल में उसे ब्रेन-डेड घोषित कर दिया गया था. काफी कोशिशों के बाद भी उसकी मौत हो गई.
ब्रेन-डेड घोषित होने के बाद परिवार ने अपनी बच्ची के अंगों को दान करने का फैसला किया. बिजनेसमैन वीरेंद्र कुमार जैन और पत्नी मोनिका जैन के लिए नुकसान से उबरना कठिन रहा लेकिन परिवार ने अंग दान कर उसकी यादों को जिंदा रखने का फैसला किया. परिवार ने कृति के फेफड़े, लीवर, गुर्दे और हृदय दान कर दिया. कृति के शरीर के अंगों से 10 लोगों को नया जीवन मिला है.
क्या बोले कृति के पिता?
कृति एक खुशमिजाज और जिंदादिल बच्ची थी. उसके पिता ने बताया कि वह घर की सबसे लाडली बच्ची थी. हर कोई उससे प्यार करता था. वह बहुत ऊर्जावान और मस्ती पसंद थी. उन्होंने कहा, "जब भी मैं परेशान होता था, वह मुझसे कहती रहती थी- पापा, प्लीज स्माइल कीजिए." बाल्डविन गर्ल्स हाई स्कूल की कक्षा 8 की छात्रा कृति पढ़ाई में अच्छी थी. पिता वीरेंद्र ने कहा कि वह अपनी कक्षा में टॉप 10 छात्रों में से एक थी. हमें खुशी है कि उसके अंगों से आज किसी और को जिंदगी मिली है.
कितनी तरह का है अंगदान?
बता दें कि अंगदान दो तरह से होता है. पहला व्यक्ति के जीवित रहते हुए अंगदान होता और दूसरा मौत के बाद होता है. अंगदान के लिए बाकायदा वसीयत लिखी जाती है कि मौत के बाद उसके शरीर का कौन-कौन सा हिस्सा दान किया जाएगा. मौत के बाद अंगदान में आंख, किडनी, लीवर, फेफड़ा, हृदय, पैंक्रियाज और आंत दान की जा सकती है.
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