नई दिल्ली: बिहार के गया स्थित सेना के ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी यानि ओटीए की जगह अब सिख लाइट इंफेंट्री रेजीमेंट का सेंटर खोला जायेगा. फिलहाल सिख लाइट रेजीमेंट उत्तर प्रदेश के फतेहगढ़ में है. एबीपी न्यूज ने सबसे पहले ये बताया था कि सेना ने 'टेक्नो-वॉरियर्स' तैयार करने वाले अपने ओटीए सेंटर को बंद करने का फैसला कर लिया है. करीब 800 एकड़ में फैले इस सेंटर में सेना के टेक्नीकल एंट्री स्कीम (टीईएस) और स्पेशल कमीशनड ऑफिर्स (एससीओ) के अधिकारियों की प्री-कमीशनंड ट्रैनिंग यहां दी जाती है. टीईएस अधिकारी इंजीनियर बनकर सेना को अपनी सेवाएं देते हैं. इसीलिए उन्हें टेक्नो-वॉरियर्स का नाम दिया जाता है. जबकि एससीओ वे अधिकारी होते हैं जो सेना में जवान के पद पर भर्ती होते हैं और फिर अधिकारी बन जाते हैं.
लेकिन पिछले आठ सालों के दौरान सेना ने पाया कि ओटीए गया में बेहद कम अधिकारी ट्रेनिंग ले रहे हैं. इस एकेडमी में हर साल करीब 750 अधिकारी ट्रेनिंग ले सकते हैं, लेकिन यहां अभी तक ये आंकड़ा 250 से ज्यादा नहीं पहुंच पा रहा है. मित्र-देशों की सैन्य अधिकारियों की प्री-कमीशनंड ट्रेनिंग भी ओटीए गया में दी जाती है. इसके बावजूद यहां ट्रेनिंग लेने वाले अधिकारियों का आंकड़ा कम ही रहा है. यही वजह है कि सेना ने रक्षा बजट के सही इस्तेमाल (विवेकपूर्ण इस्तेमाल) की वजह से इस एकेडमी को बंद करने का प्रस्ताव दिया है. ये प्रस्ताव फिलहाल रक्षा मंत्रालय के पास लंबित है.
ओटीए गया के बड़े कैंपस और बेसिक मिलिट्री-ट्रेनिंग की मूलभूत सुविधाओं को देखते हुए सेना ने अब यहां सिख लाइट रेजीमेंट को शिफ्ट करने का प्लान बनाया है. फतेहगढ़ में सिख लाइट के अलावा राजपूत रेजीमेंट का सेंटर भी है. माना जा रहा है कि ओटीए गया में सिख लाइट इंफेंट्री में भर्ती होने वाले जवानों की ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल किया जायेगा. ओटीए गया में संचालित टीईएस और एससीओ कोर्सेज़ को अब आईएमए देहरादून में शिफ्ट कर दिया जाएगा. आईएमए में पहले से ही रेगुलर-एनडीए कोर्स वाले कैडेट्स को प्री-कमीशन अधिकारी बनने की ट्रेनिंग दी जाती है.
आपको बता दें कि हर साल लाखों नौजवान सेना में अधिकारी बनने के लिए एनडीए, सीडीएस, एसएसबी इत्यादि की परीक्षा देते हैं. लेकिन कड़े सैन्य-मानकों पर खरा ना उतर पाने के कारण सेना को हर साल कम अधिकारी ही मिल पाते हैं. ऐसे में थलसेना अधिकारियों की कमी से जूझ रही है. इसी साल जनवरी में संसद की एक कमेटी ने खुलासा किया था कि थलसेना में करीब साढ़े आठ हजार (8443) सैन्य-अधिकारियों की कमी है. संसद की स्थायी कमेटी की इस रिपोर्ट के मुताबिक, थलसेना को करीब 60 हजार (60,294) अधिकारियों की मंजूरी मिली हुई है, लेकिन फिलहाल थलसेना में अधिकारियों की संख्या है करीब 52 हजार (51,851) है.
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