नई दिल्ली: ओटीए गया को खोलने के लिए सेना ने रक्षा मंत्रालय से कभी भी जरूरी इजाजत नहीं ली थी. इसीलिए सेना ने फैसला लिया है कि यहां चल रहे टीईएस एंट्री स्कीम को अब आईएमए देहरादून से संचालित किया जायेगा. सेना के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, साल 2011 में ओटीए गया को खोलने की इसलिए जरूरत पड़ी थी क्योंकि देहरादून स्थित आईएमए (इंडियन मिलिट्री एकेडमी) में प्री-कमीशंड ट्रेनिंग के लिए ज्यादा जगह नहीं थी. यही वजह है कि सैन्य अधिकारियों की ट्रेनिंग के लिए बिहार के गया में ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (ओटीए) को 'जुगाड़ टेक्नोलॉजी' से खोला गया था. सेना ने अलग-अलग जगहों से अपने संसधानों को इकठ्ठा कर इसे खड़ा किया था.
सूत्रों के मुताबिक, सरकार से मंजूरी ना मिलने के कारण ओटीए में तैनात अधिकारियों और दूसरे प्रशिक्षकों को 'इंस्ट्रक्टर्स एलाउंस' तक नहीं मिलता है. जानकारी के मुताबिक, आईएमए में अब ज्यादा अधिकारियों के ट्रेनिंग की व्यवस्था कर ली गई है. इसलिए ओटीए गया से संचालित टेक्निकल एंट्री स्कीम (टीईएस) के प्री कमीशंड अधिकारियों की मिलिट्री-ट्रेनिंग अब आईएमए में कराई जाएगी. मिलिट्री-इंजीनियरिंग की पढ़ाई पहले की तरह ही महू, पुणे और सिकंदराबाद में होगी.
आपको बता दें कि एबीपी न्यूज़ ने ही सबसे पहले ये खबर दी थी कि सेना ने ओटीए गया को बंद करने का प्लान बना लिया है और सिख लाइट इंफेंट्री (सिखलाई) का रेजीमेंटल सेंटर ओटीए गया में शिफ्ट कर दिया जायेगा. लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने ओटीए गया बंद करने का विरोध किया है.
सिखलाई सेंटर फिलहाल उत्तर प्रदेश के फतहगढ़ में है. लेकिन राजपूत सेंटर भी फतेहपुर में होने के चलते वहां दोनों सेंटर्स को संचालित करने में खासी दिक्कत आ रही हैं. क्योंकि राजपूत रेजीमेंट में कुछ नई यूनिट्स को जोड़ दिया गया है. सिखलाई सेंटर को पहले सेना सीतापुर में ले जाने का प्लान बना रही थी. इसके लिए वहां 150 एकड़ जमीन भी खरीद ली गई थी. लेकिन नया रेजीमेंटल सेंटर खड़ा करने के लिए सेना को कम से कम एक हजार करोड़ रूपये खर्च करने पड़ रहे थे. इसीलिए अब सिखलाई सेंटर को गया शिफ्ट कर दिया जाएगा.
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